उत्तराखंड में आजकल समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के केदारेश्वर मंदिर को लेकर राजनीतिक गर्माई हुई है। उत्तर प्रदेश के इटावा में अखिलेश यादव ने उत्तराखंड के केदारनाथ धाम के मंदिर की प्रतिकृति के रूप में एक विशाल मंदिर का निर्माण किया है और जिसका नाम केदारेश्वर मंदिर रखा गया है। इसका केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और उत्तराखंड के विभिन्न धार्मिक सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने जबरदस्त विरोध किया है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् ने तो इटावा में केदारेश्वर मंदिर बनाए जाने को सनातन धर्म के खिलाफ एक गहरी साजिश बताया है। परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष तथा पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा के सचिव श्री महंत रवींद्र पुरी महाराज ने कहा कि उत्तराखंड में हिमालय में स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग की अनुकृति के रूप में अखिलेश यादव ने इटावा में मंदिर बनाकर हिमालय के द्वादश ज्योतिर्लिंग केदारनाथ धाम का महत्व घटाने की एक साजिश की है। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद बद्री केदारनाथ मंदिर समिति और वहां के तीर्थ पुरोहितों के साथ है और अखिलेश यादव के इस कृत्य की कड़े शब्दों में निंदा करता है। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को इस मंदिर की जगह पर शंकर जी के नाम पर कोई और मंदिर बनाना चाहिए था।
अखिलेश के खिलाफ बड़ा आंदोलन चलाए जाने की रणनीति
उत्तराखंड में केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों ने इटावा में बनाए गए मंदिर का विरोध शुरू कर दिया है। इस पर अब विपक्ष ने भी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है क्योंकि सरकार ने कुछ दिन पहले दिल्ली में बंद रहे केदारनाथ मंदिर विवाद के बाद चार धाम की तर्ज पर देश में कहीं भी मंदिर बनाने के खिलाफ कानून बनाने की बात कही थी। केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित पंडित संतोष त्रिवेदी का कहना है कि अखिलेश यादव को केदारनाथ मंदिर की हूबहू आकार जैसा मंदिर नहीं बनना चाहिए था। उन्होंने कहा कि यह समाजवादी पार्टी की हिमालय में स्थित केदारनाथ धाम की महिमा को कम करने की एक गहरी और सुनियोजित साजिश है जिसका तीर्थ पुरोहित समाज कड़ा विरोध करता है और जल्दी ही तीर्थ पुरोहित पंचायत की बैठक बुलाकर एक बड़ा आंदोलन चलाए जाने की रणनीति बनाई जाएगी।
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उन्होंने कहा जरूरत पड़ेगी तो दिल्ली और लखनऊ में अखिलेश यादव के घर के बाहर धरना दिया जाएगा। चार धाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के महासचिव बृजेश सती का कहना है कि कुछ महीनों पहले ऐसा ही एक मंदिर केदारनाथ धाम की तर्ज पर दिल्ली में बनाया जा रहा था जिस पर काफी विवाद हुआ था इसके बाद उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने कैबिनेट बैठक में एक ऐसा कड़ा कानून बनाने का फैसला लिया गया था जिसके बाद देश में उत्तराखंड के चार धाम से जुड़े मंदिरों या उनसे मिलते-जुलते मंदिरों के निर्माण ना हो। लेकिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उत्तराखंड के हिमालय में केदारनाथ धाम जैसे दिखने वाले मंदिर की तरह ही उत्तर प्रदेश के इटावा में केदारेश्वर मंदिर का निर्माण भी करा दिया और तमिलनाडु से विशेष पुजारी को बुलाकर पारंपरिक मंत्रों और विधि विधान के साथ पूजा अर्चना भी करवाई।
इटावा में बने केदारेश्वर मंदिर की खासियत
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष करण माहरा ने अखिलेश यादव द्वारा केदारनाथ मंदिर धाम की अनुकृति का मंदिर इटावा में बनाए जाने का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार को इस मामले में कड़े कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम एक मंदिर ही नहीं, बल्कि करोड़ों हिंदुओं की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है। इसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है ऐसे में उसी के स्वरूप में मंदिर का निर्माण करना हिंदुओं की भावना को भी ठेस पहुंचाने जैसा है।
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अखिलेश यादव केदारेश्वर मंदिर का निर्माण ग्वालियर राष्ट्रीय राजमार्ग पर लायन सफारी के सामने दो एकड़ जमीन पर किया है। 2020 में अखिलेश यादव ने इस मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन किया था। इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना शिव शक्ति अक्ष रेखा पर स्थित, जहां देश के आठ प्रमुख शिव मंदिर भी बने हैं, की थी। मदुरै और कन्याकुमारी के जिन शिल्पकारों ने तिरुवल्लुवर की प्रतिमा बनाई थी, उन्होंने केदारेश्वर मंदिर का निर्माण किया है।
करीब 350 शिल्पकारों और कारीगरों ने 55 करोड़ की लागत से केदारेश्वर मंदिर का निर्माण किया है। 72 फुट की ऊंचाई वाले केदारेश्वर मंदिर में सात फुट की शालिग्राम शिला स्थापित की गई है। केदारेश्वर मंदिर परंपरागत तकनीक से बनाया गया है और जो भूकंप रोधी है।