एक साल बाद उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार ने अभी से रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। इसी रणनीति के तहत प्रदेश के तीन करोड़ किसान परिवारों को समाजवादी पार्टी की सरकार किसान सर्वहित बीमा योजना का लाभ देने जा रही है। सोमवार को मुख्यमंत्री की अगुवाई में हुई मंत्रिमंडल समूह की बैठक में इस बीमा योजना को मंजूरी मिल गई है।

बीते दो सालों से उत्तर प्रदेश का ग्रामीण इलाका दैवीय आपदा और सूखे की भयावह मार झेल रहा है। बुंदेलखंड समेत प्रदेश के अधिकांश गावों में किसान फाकापरस्ती को मजबूर है। सूखे की वजह से प्रदेश के साठ से अधिक जिलों में हजारों करोड़ रुपए की फसल तबाह हो चुकी है। इस वजह से उत्तर प्रदेश के कर्ज में दबे सैकड़ों किसान बीते दो सालों में आत्महत्या कर चुके हैं और बुंदेलखंड के हजारों किसान पलायन। किसानों को उनकी फसल का मुआवजा दिलाने के लिए सूबे की सरकार मार्च 2014 से अब तक केंद्र को कई मर्तबा पत्र लिख चुकी है। राज्य ने केंद्र से करीब आठ हजार करोड़ रुपए किसानों को बतौर मुआवजा देने के लिए मांगे हैं मगर अब तक मांग का चौथाई हिस्सा ही उसे मिला।

कर्ज में डूबे किसानों को फौरी राहत देने के लिए अखिलेश सरकार ने सोमवार को कैबिनेट में किसान सर्वहित बीमा योजना को मंजूरी दे दी है। योजना के तहत दुर्घटना के दौरान मृत्यु होने पर सरकार किसानों के परिजनों को पांच लाख रुपए देगी। जबकि घायल होने की स्थिति में मुफ्त उपचार करवाएगी। इस फैसले को राजनीति के जानकार मोदी सरकार को घेरने की रणनीति करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी और उसकी सहयोगी अपना दल के 73 सांसद हैं।

इसके बाद भी प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे लोगों के हितों की केंद्र ने उपेक्षा की। किसानों के प्रति केंद्र के इस रवैये से जनता के बीच पनप रहे असंतोष को अखिलेश यादव अपने पक्ष में करना चाहती है। प्रदेश सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि मुख्य सचिव आलोक रंजन के दो दिवसीय बुंदेलखंड प्रवास के बाद राज्य सरकार बुंदेलखंड पर पैकेज का एलान करने की तैयारी में है। सूत्रों का कहना है कि जनवरी के अंत में शुरू हो रहे बजट सत्र में अखिलेश यादव इस पैकेज का प्रावधान बजट में करेंगे।