अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA), दिल्ली ने 17 अक्टूबर 2024 को अपने पहले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘समग्र आयुर्वेद के लिए अनुसंधान और वैश्विक अवसरों की उन्नति – AROHA-2024’ का भव्य उद्घाटन किया। यह तीन दिवसीय कार्यक्रम 19 अक्टूबर तक चलेगा, जिसमें व्यक्तिगत और आभासी दोनों प्रकार की भागीदारी हो रही है। इस सम्मेलन का उद्घाटन भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ. न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने किया। आयुष मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव, आयुष मंत्रालय के सचिव वीडी राजेश कोटेचा, और डॉ. श्यामा कुरुविला सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने इस प्रतिष्ठित आयोजन में शिरकत की।

मुख्य न्यायाधीश का उद्घाटन भाषण

भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश डॉ. धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने अपने उद्घाटन भाषण में AIIA की प्रगति की प्रशंसा करते हुए कहा कि आयुर्वेद केवल चिकित्सा नहीं है, बल्कि एक समग्र जीवनशैली और कल्याण का मार्ग है। उन्होंने कहा, “आयुर्वेद चिकित्सा, पोषण, ध्यान और योग के माध्यम से जीवन को संतुलित करता है और इसे वैश्विक स्तर पर फैलाने की आवश्यकता है।” उन्होंने आयुर्वेद को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ने की आवश्यकता पर जोर देते हुए इस सम्मेलन को इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

आयुष मंत्री की प्रतिबद्धता

आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने सम्मेलन के दौरान अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आयुर्वेद को वैश्विक पहचान दिलाने के प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “हम पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में एकीकृत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आयुर्वेद को लाखों लोगों तक पहुंचाना हमारा लक्ष्य है।” उन्होंने आयुर्वेद के अनुसंधान, नवाचार और वैश्विक स्वीकृति को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया और कहा कि यह सम्मेलन आयुर्वेद की क्षमता को और उजागर करेगा।

WHO की दृष्टि और आयुर्वेद

गुजरात के जामनगर में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र की निदेशक (अंतरिम) डॉ. श्यामा कुरुविला ने सम्मेलन में भारत के नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में AROHA-2024 जैसा कार्यक्रम वैश्विक स्वास्थ्य सेवा के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने जी20 और ब्रिक्स जैसे वैश्विक मंचों पर भारत के योगदान की भी प्रशंसा की और कहा कि पारंपरिक चिकित्सा का यह योगदान भविष्य की स्वास्थ्य प्रणाली का अभिन्न अंग बनेगा।

आयुष मंत्रालय का नवाचार

आयुष मंत्रालय के सचिव वीडी राजेश कोटेचा ने सम्मेलन में अपने विचार रखते हुए बताया कि मंत्रालय आयुर्वेद की पांच प्रमुख वनस्पतियों के लिए अगले पांच वर्षों में वैश्विक बेंचमार्क स्थापित करने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा, “हम आयुर्वेद को आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के साथ एकीकृत करने के लिए पूरी तरह समर्पित हैं और इस दिशा में कई नवाचार किए जा रहे हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि इस सम्मेलन में 400 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे, जो आयुर्वेद के अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

AIIA की वैश्विक उपस्थिति

अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की निदेशक प्रो. (डॉ) तनुजा नेसारी ने अपने संबोधन में AIIA की अब तक की यात्रा की सराहना की और सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि AIIA का 74 से अधिक देशों में अकादमिक और वैज्ञानिक सहयोग है, जिनमें लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन, वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी और अन्य प्रमुख संस्थान शामिल हैं। उन्होंने सम्मेलन की महत्ता पर जोर दिया और इसे आयुर्वेद के वैश्विक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बताया।