देशभर में डॉक्टरों के एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश हो रहा है, जो लोगों को गंभीर बीमारियों का भय दिखाकर उन्हें मानसिक रूप से ब्लैकमेल कर रहा है और मोटी रकम वसूल रहा है। ये गिरोह मरीजों को बड़ी बीमारियों जैसे कैंसर या अन्य घातक रोगों का झूठा भय दिखाकर उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर कर रहा है। हाल ही में एक ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश के आगरा में सामने आया है, जहां एक किसान को खांसी के सामान्य लक्षणों को लेकर डॉक्टरों ने कैंसर बता दिया और उससे 10 लाख रुपये वसूलने की कोशिश की।
सीएमओ और पुलिस कमिश्नर ने की कार्रवाई
पीड़ित ने अपनी स्थिति की शिकायत आगरा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) से की, जिसके बाद सीएमओ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए। जांच में पता चला कि डॉक्टरों ने कैंसर की झूठी रिपोर्ट दी थी। इसके बाद सीएमओ की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस कमिश्नर ने कार्रवाई करते हुए दो पैथोलॉजिस्ट के खिलाफ मामला दर्ज किया। पुलिस अब इस साजिश में शामिल अन्य डॉक्टरों से भी पूछताछ कर रही है, ताकि पूरे गिरोह का पर्दाफाश किया जा सके।
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आरोपी डॉक्टरों ने फेफड़ों का कैंसर बताकर करना चाह रहे थे वसूली
आगरा के रहने वाले किसान राजकुमार ने खांसी की समस्या के लिए डॉक्टरों से संपर्क किया। डॉक्टर ने उसकी जांच कराई और रिपोर्ट में उसे फेफड़ों का कैंसर होने की बात कहकर डरा दिया। डॉक्टर ने कहा कि इलाज के लिए 7-8 लाख रुपये की जरूरत पड़ेगी। परिवार यह सुनकर सदमे में आ गया और राजकुमार को लेकर मुंबई, गुरुग्राम और नोएडा के बड़े अस्पतालों में ले जाया गया, जहां सभी रिपोर्ट्स में कैंसर की पुष्टि नहीं हुई। इसके बावजूद आगरा के डॉक्टरों ने उसे लगातार कैंसर का डर दिखाकर पैसों की मांग की।
यह केवल एक मामला नहीं है। देशभर में ऐसे कई केस सामने आ रहे हैं जहां डॉक्टर मरीजों को गंभीर बीमारियों का भय दिखाकर उन्हें आर्थिक रूप से लूट रहे हैं। कई बार ये डॉक्टर और लैब मिलकर झूठी रिपोर्ट तैयार करते हैं, जिसमें मरीजों को गंभीर बीमारियों की गलत जानकारी दी जाती है। इसके बाद इलाज के नाम पर उनसे लाखों रुपये वसूल किए जाते हैं। मरीज और उनके परिवार वाले इस डर के कारण डॉक्टरों की हर बात मानने को मजबूर हो जाते हैं, जिससे उनका आर्थिक और मानसिक शोषण होता है।
राजकुमार के मामले में उसने पुलिस और स्वास्थ्य अधिकारियों से शिकायत की, जिसके बाद डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने दो पैथोलॉजिस्ट पर केस दर्ज किया है और अन्य डॉक्टरों की भी जांच की जा रही है। इस गिरोह में शामिल कई डॉक्टर और लैब संगठनों पर अब शिकंजा कसने की तैयारी हो रही है। यह घटना इस बात की पुष्टि करती है कि कैसे कुछ डॉक्टर मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं। इस मामले ने देशभर में मेडिकल पेशे की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।