उत्तर प्रदेश के सबसे सियासी घराने के एक सदस्य के बयान ने सूबे की राजनीतिक सरगर्मी एक बार फिर से बढ़ा दी है। रविवार (26 अगस्त) को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा और मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव का दर्द एक बार फिर सामने अाया है। खुद को लंबे समय से हाशिए पर रखने की वजह से वे नाराज हैं। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, “मैं पिछले डेढ़ साल से पार्टी में कोई जिम्मेदार पद मिलने का इंतजार कर रहा हूं। मैं अभी भी इंतजार में हूं।” यह बयान पूर्व मुख्यमंत्री और सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के उस बयान के ठीक एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अब उनका कोई सम्मान नहीं करता है। समाजवादी चिंतक भगवती सिंह के 86वें जन्म दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि, “अब उनका कोई सम्मान नहीं करता। शायद उनके मरने के बाद लोग ऐसा करें। राम मनोहर लोहिया भी कहा करते थे कि जिंदा रहते कोई सम्मन नहीं करता है।”
I have been waiting for a responsible position in the party, it has been 1.5 years & I am still waiting: Shivpal Yadav, Samajwadi Party pic.twitter.com/JCHHC1XMdP
— ANI UP (@ANINewsUP) August 26, 2018
बता दें कि कुछ ही महीनों बाद लोकसभा चुनाव है। इस चुनाव से दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाले का फैसला होता है। दिल्ली की कुर्सी पर कौन बैठेगा, यह तय करने में उत्तर प्रदेश की अहम भूमिका होती है। वजह यह है कि यहां लोकसभा की 80 सीटे हैं। पिछले चुनाव में भाजपा ने इनमें से 73 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसका असर यह हुआ कि अकेले भाजपा को सरकार बनाने लायक बहुमत मिल गया। इस बार रास्ता पिछली बार की तरह आसान नहीं दिख रहा था क्योंकि भाजपा को रोकने के लिए महागठबंधन बनाने की कवायद चल रही थी। लेकिन मुलायम सिंह यादव और शिवपाल सिंह यादव के इस बयान से एक बार फिर भाजपा को रोकने के लिए बन रही रणनीति को बढ़ा झटका लगा सकता है।
सपा कुनबे के अंदरूनी लड़ाई का असर 2017 में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में देखने को मिला था। सपा सत्ता से बेदखल हो गई और राज्य में पूर्ण बहुमत से भाजपा की सरकार बनी। हालांकि, विधानसभा चुनाव के बाद कई सार्वजनिक मौकों पर शिवपाल यादव भतीजे अखिलेश की तारीफ करते दिखे। इसके बाद ऐसा माना जा रहा था कि पारिवारिक लड़ाई खत्म हो गई। लेकिन मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव के ताजा बयानों ने एक बार फिर विपक्षी दलों की परेशानी खासकर समाजवादी पार्टी की बढ़ा दी है। वहीं भाजपा को इस बयान से लाभ मिलने की संभावना है।