केंद्र सरकार ने जमात-ए-इस्लामी (JEL) पर 5 साल का बैन लगाने के बाद अब उसकी वेबसाइट को भी ब्लॉक करने की तैयारी शुरू कर दी है। साथ ही, इस संगठन से जुड़े सोशल मीडिया अकाउंट्स पर भी नजर रखी जा रही है। बता दें कि पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले के बाद सरकार ने जमात-ए-इस्लामी को बैन कर दिया था। साथ ही, संगठन के कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था।
JEL के सभी ऑनलाइन अकाउंट्स होंगे बंद : खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र सरकार जमात-ए-इस्लामी को ऑनलाइन भी बैन करने की प्लानिंग कर रही है। इसके तहत JEL की एक वेबसाइट jamaateislamijk.org और अन्य सोशल मीडिया अकाउंट जैसे फेसबुक, ट्विटर आदि पर भी नजर रखी जा रही है। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, JEL सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके केंद्र सरकार के खिलाफ लोगों को भड़का रहा है और आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है।
सोशल मीडिया पर JEL के ढेरों समर्थकः गौरतलब है कि जमात-ए-इस्लामी ने गुरुवार को एक फोटो ट्वीट किया था। इस फोटो में संगठन के मुख्य कार्यालय को सील होते दिखाया गया था। ट्वीट में फोटो पर टिप्पणी करते हुए JEL ने संगठन पर लगे बैन को कोर्ट में चैलेंज देने की बात कही थी। बता दें कि टि्वटर पर JEL के करीब 5800 फॉलोवर्स हैं। वहीं, 2013 से चल रहे फेसबुक पेज पर संगठन ने अपने खिलाफ लगे बैन को ‘असंवैधानिक’ और ‘गैर-लोकतांत्रिक’ बताया है।
JEL आतंकवाद का अड्डा बनाः गृह मंत्रालय के मुताबिक, JEL ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) के साथ मिलकर कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। गृह मंत्रालय ने यह भी खुलासा किया कि JEL और APHC दोनों को पाकिस्तान कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए मोहरे के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। इसे जम्मू और कश्मीर में सक्रिय सबसे बड़े आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन (HM) के गठन के लिए भी जिम्मेदार बताया जाता है। गौरतलब है कि JEL पर 1975 में दो साल के लिए और 1990 में तीन साल के लिए पहले भी बैन लग चुका है।
