दिल्ली सरकार के उन मंत्रियों व अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, जो सक्षम अधिकारी अर्थात उपराज्यपाल की अनुमति के बिना विदेशी दौरे पर गए। इन अनाधिकृत दौरों पर दिल्ली सरकार का काफी राजस्व व्यय हुआ है। इस व्यय की भरपाई दोषी मंत्रियों तथा अधिकारियों की जेब से की जाए। दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने गुरुवार को उपराज्यपाल नजीब जंग को राजनिवास में एक ज्ञापन सौंप कर यह मांग की है। गुप्ता ने कहा कि सरकारी नियमों के अनुसार दिल्ली सरकार के मंत्रियों तथा अधिकारियों को विदेशी दौरों की जानकारी उपराज्यपाल को देनी होती है और उनसे अनुमति लेनी होती है। वर्तमान सरकार से पहले जितने भी मुख्यमंत्री, मंत्री तथा अधिकारी दिल्ली सरकार में रहे हैं, उन्होंने विदेशी दौरों पर जाने से पूर्व उपराज्यपाल की अनुमति ली थी। उन्होंने मांग की कि इन अनाधिकृत विदेशी दौरों की जांच करवाई जाए ताकि भविष्य में कानूनों को ताक पर रखकर मंत्री अथवा अधिकारी विदेशी दौरों पर न जाएं। उन्होंने दोषी मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की।
विपक्ष के नेता ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट के 4 अगस्त 2016 को आए फैसले के बाद भी दिल्ली सरकार के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है। वह विज्ञापनों व मीडिया के माध्यम से केंद्र सरकार तथा उपराज्यपाल का निरादर करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने अनेक महत्त्वपूर्ण पदों पर आप कार्यकर्ताओं को अथवा मंत्रियों व पदाधिकारियों के नजदीकी रिश्तेदारों को बैठा दिया है। वे मनमाने ढंग से प्रशासन में दखल दे रहे हैं, इससे दिल्ली सरकार की कार्य प्रणाली बुरी तरह प्रभावित है। गुप्ता ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने दिल्ली महिला आयोग के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि इसकी अध्यक्ष स्वाती मालीवाल पर गैर कानूनी तरीके से 85 नियुक्तियां करने का आरोप है। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष के विरुद्ध नियमानुसार सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

