पिछले महीने आम आदमी पार्टी के आंतरिक लोकपाल के पद से हटाये गये एडमिरल एल रामदास ने आज पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि वे अपना वादा निभा पाने में विफल रहे हैं और अलोकतांत्रिक रवैया अपना रहे हैं।

आप के असंतुष्ट खेमे द्वारा आयोजित सम्मेलन में रामदास का बयान पढ़ा गया जिसमें उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने आप के शीर्ष नेताओं से बार बार यह स्पष्ट करने का अनुरोध किया कि वास्तव में किस तारीख को लोकपाल का कार्यकाल समाप्त हुआ, लेकिन पूरी तरह चुप्पी साध ली गयी।

पूर्व नौसेना प्रमुख ने अपने बयान में कहा, ‘‘आपके लोकपाल और आप के चार वरिष्ठ संस्थापक सदस्यों ने खुद को पार्टी में अपने पदों से बेदखल पाया। इस तरह की कार्रवाई करके पूरे देश में और विदेश में लाखों समर्थकों की उम्मीदों और विश्वास की गंभीर रूप से अनदेखी की गयी है।’’

आप के असंतुष्ट नेता योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण द्वारा आयोजित सम्मेलन में पढ़े गये रामदास के पत्र में यह दावा भी किया गया है कि वह पार्टी के किसी विशेष तबके से नहीं जुड़े और उनका संदेश सभी के लिए है, चाहे पार्टी के भीतर के लोग हों या बाहर के। उन्होंने कहा कि आंतरिक कलह ने पार्टी की छवि और इसके बुनियादी सिद्धांतों को धूमिल किया है।

रामदास ने कहा, ‘‘हम उन वादों को पूरा करने में नाकाम रहे हैं और खुद अलोकतांत्रिक रवैये के शिकार हो गये हैं जिसकी व्याख्या की जरूरत नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि स्वराज की अवधारणा में कभी भी इस तरह की कार्रवाइयों, अपशब्दों और बलपूर्वक तरीकों की कल्पना की गयी होगी जो हमारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठकों से जुड़े हालिया घटनाक्रमों में देखे गये।’’

रामदास ने कहा कि असंतुष्ट खेमे द्वारा आयोजित संवाद को पार्टी विरोधी गतिविधि नहीं कहा जा सकता। उन्होंने भविष्य के लिए तीन संभावित तरीके भी सुझाये। उन्होंने कहा, ‘‘संगठित आप को बनाने की दिशा में काम करने का फैसला किया जाए और उसी के अनुसार काम किया जाए, ईमानदारी से माफीनामा जारी किया जाए, मैं भी इस तरह के माफीनामे पर दस्तखत करने को तैयार हूं। अगर विभाजन निश्चित लगता है तो हमें भविष्य में आरोप-प्रत्यारोप से बचने के लिए विनम्रता और उदारता रखनी चाहिए।’’

पार्टी ने 29 मार्च को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में रामदास को अपने आंतरिक लोकपाल के पद से हटा दिया था और एक नया लोकपाल का पैनल बनाया था जिसमें पूर्व आईपीएस अधिकारियों एन दिलीप कुमार और राकेश सिन्हा के साथ शिक्षाविद एस पी वर्मा को रखा गया।

इससे पहले आम आदमी पार्टी के बागी नेताओं योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण ने आज सुबह देशभर के स्वयंसेवियों (वॉलेंटियर्स) के साथ एक बैठक शुरू की और आज के दिन को ‘एक नयी शुरुआत’ का नाम दिया। वहीं अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी ने इस समारोह में शिरकत करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी।

यादव और भूषण ने आप के शीर्ष पदों से हटाए जाने के बाद भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा करने के लिए ‘स्वराज संवाद’ नामक चर्चा आयोजित करने के अपने निर्णय की घोषणा की थी। इससे ये कयास लगाए जा रहे थे कि बैठक में एक नयी पार्टी के गठन की घोषणा हो सकती है।

आज सुबह 10 बजे इस सत्र की शुरूआत से पहले यादव ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि हमें यहां कुछ नया देखने को मिलेगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक नयी शुरूआत का दिन है। ‘आप’ का संविधान पार्टी के आम सदस्य को भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है, जो कि कोई भी अन्य पार्टी नहीं देती और अगर कार्यकर्ता इस स्वतंत्रता का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो मुझे यकीन है कि पार्टी इसका सम्मान करेगी। मैं जानना चाहता हूं कि कि क्या पार्टी ने अपना ही संविधान बदल दिया है?’’

इस सम्मेलन के दौरान जो प्रमुख नेता मंच पर नजर आए, उनमें आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाले गए चार सदस्य- यादव, भूषण, आनंद कुमार और अजित झा- तिमारपुर के विधायक पंकज पुष्कर और विभिन्न राज्यों में लोकसभा चुनावों के कई उम्मीदवार शामिल हैं।

पुष्कर ने कहा, ‘‘हमारी पार्टी नयी है। अलग-अलग लोगों की अनुशासन पर अलग-अलग राय है। मेरा मानना है कि आज की बैठक हमारी पार्टी के आदर्शों के अनुरूप है।’’

बैठक को एक घंटा हो जाने के बाद, एडमिरल एल रामदास का एक ऑडियो संदेश मंच से सुनाया गया। रामदास को हाल ही में पार्टी के आंतरिक लोकपाल के पद से हटाया गया था।

इस संदेश में रामदास ने कहा कि एकसंवाद को ‘‘पार्टी विरोधी गतिविधि’’ के रूप में नहीं देखा जा सकता और लोगों को एक लोकतंत्र में बोलने की अनुमति दी जानी चाहिए।

उन्होंने गुड़गांव में चल ही इस बैठक में शामिल न हो पाने के लिए माफी मांगने के साथ ही कहा, ‘‘मैं आप के किसी गुट विशेष से नहीं हूं। मेरे लिए ‘आप’ एक ही है। पार्टी के सिद्धांत और छवि को सबसे ज्यादा नुकसान उस जोर-जबरदस्ती ने पहुंचाया, जो हाल में की गई और हम एक पार्टी के तौर पर बड़े शोचनीय ढंग से विफल रहे हैं…एक ऐसी पार्टी, जिसका गठन स्वराज के सिद्धांतों पर हुआ था।’’

अप्रत्यक्ष तौर पर धमकी देते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने कहा कि आप की शक्तिशाली राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) और इसकी राष्ट्रीय कार्यकारिणी (एनई) बैठक के बाद इस संदर्भ में अगले कदम पर निर्णय लेगी।

सिंह ने कहा, ‘‘स्वराज संवाद पार्टी का समारोह नहीं है। पीएसी और एनई बैठक के बाद यह निर्णय लेगी कि क्या कार्रवाई की जानी चाहिए?’’

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