सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा में एकनाथ शिंदे ने फ्लोर टेस्ट में 164 वोटों के साथ बहुमत साबित कर दिया है। इस शक्ति प्रदर्शन के साथ ही अब महाराष्ट्र की बागडोर शिंदे के हाथों में चली गई है। शिंदे के फ्लोर टेस्ट पास करने के साथ ही शिवसेना प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मुश्किलें बढ़ गईं हैं। विधायक तो उद्धव के हाथ से निकल ही गए हैं अब तो पार्टी के जाने का भी खतरा बन गया। ऐसी स्थिति में उद्धव और आदित्य दोनों की विधानसभा सदस्यता जाने का भी खतरा बना रहेगा।
फ्लोर टेस्ट पर बहुमत साबित करने के लिए एकनाथ शिंदे को 144 विधायकों के वोट चाहिए थे पहले ये फ्लोर टेस्ट ध्वनि मत से होना था लेकिन विपक्ष लगातार हंगामा कर रहा था जिसकी वजह से विधानसभा अध्यक्ष ने मतदान के जरिए ये टेस्ट करवाया। इस वोटिंग में शिंदे के पक्ष 164 जबकि विपक्ष में 99 वोट पड़े वहीं इस दौरान 22 विधायक नदारद रहे।
शिवसेना उद्ध के हाथ से निकलकर शिंदे के पास चली जाएगी?
30 जून को जब एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। तो उन्होंने इसके तुरंत बाद शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट ने विधानसभा में स्थित शिवसेना कार्यालय को सील करवा दिया था। इसके बाद शिंदे ने विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव करवा के बीजेपी के राहुल नार्वेकर को विधानसभा अध्यक्ष बनवाया। यहीं से शुरू हुआ शिवसेना शिंदे गुट का खेल।
राहुल नार्वेकर बने विधानसभा अध्यक्ष और शुरू हुआ खेल
जैसे ही राहुल नार्वेकर विधानसभा अध्यक्ष बने उन्होंने सबसे पहले शिवसेना के व्हिप पद से सुनील प्रभु और विधायक दल के नेता के पद से अजय चौधरी को तत्काल प्रभाव से हटा दिया। ये दोनों नेता उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना के थे। अब अजय चौधरी की जगह एकनाथ शिंदे को विधायक दल के नेता के रूप में एक बार फिर से मान्यता मिल गई। वहीं पार्टी व्हिप के तौर पर शिंदे गुट के भरत गोगावले को बनाया गया।
फ्लोर टेस्ट के बाद से ही ठाकरे गुट के विधायकों पर खतरा मंडराने लगा
इन दो बड़े परिवर्तनों के बाद फ्लोर टेस्ट में शिंदे के खिलाफ वोटिंग करने वाले विधायकों की सदस्यता पर खतरा मंडराने लगा है। फ्लोर टेस्ट के बाद शिंदे ने कहा है कि व्हिप का उल्लंघन करने वाले विधायकों पर नियम के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। आपको बता दें कि ठाकरे गुट के 16 विधायकों ने शिंदे के खिलाफ फ्लोर टेस्ट में वोट डाला है। अब यहां विचार करने वाली बात ये हैं कि आखिर किन विधायकों पर व्हिप की कार्रवाई होगी क्योंकि इसके पहले ठाकरे गुट के व्हिप चीफ ने भी शिंदे गुट के विधायकों पर व्हिप के उल्लंघन के लिए कार्रवाई की बात कही थी।
आदित्य ठाकरे की भी जा सकती है विधानसभा सदस्यता
जिन विधायकों ने फ्लोर टेस्ट में शिंदे के खिलाफ वोटिंग की है उनमें आदित्य ठाकरे भी शामिल हैं। अब विधानसभा अध्यक्ष को इन सभी 16 विधायकों पर कार्रवाई करनी है। अगर विधानसभा अध्यक्ष ने इन पर कार्रवाई कर दी तो इन 16 विधायकों की विधानसभा सदस्यता चली जाएगी और ये सभी विधायक पार्टी से भी बाहर कर दिए जाएंगे।
तो क्या विधायिकी के साथ-साथ पार्टी उद्धव और आदित्य के हाथ से जाएगी?
आइए आपको बताते हैं कि अगर विधानसभा अध्यक्ष ने एक्शन लिया तो क्या-क्या हो सकता है? उद्धव ठाकरे ने सीएम के पद से इस्तीफा देने के साथ ही एमएलसी पद से इस्तीफा दे दिया है। फिलहाल अभी वो शिवसेना के अध्यक्ष के तौर पर बने हुए हैं। वहीं उनके बेटे आदित्य ठाकरे अभी विधायक हैं। फ्लोर टेस्ट पास करने के बाद शिंदे और भी मजबूत स्थिति में आ गए हैं और अब वो पार्टी की पूरी कमान अपने हाथों में लेने की तैयारी में जुट गए हैं।
1-अब शिवसेना में लगभग 40 विधायक और ज्यादातर सांसदों का समर्थन सीएम शिंदे के पास है
2-पार्टी के भी कई नेता शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं
3-अब इस बात की उम्मीद लगाई जा रही है कि आने वाले समय में ठाकरे परिवार को शिवसेना से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा
4-शिवसेना पर पूरी तरह से शिंदे का कब्जा होगा और ठाकरे परिवार को बाहर करने की शुरुआत आदित्य ठाकरे से होगी।
उद्धव के पास अब सिर्फ दो विकल्प
शिवसेना की स्थिति मौजूदा समय बहुत बुरी हो गई है एक तरफ शिंदे गुट अपना दावा कर रहा है दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे शिवसेना पर अपना दावा कर रहे हैं। यहां स्थिति देखकर ये बात तो बिलकुल साफ है कि एकनाथ शिंदे के पास मौजूदा समय ज्यादा सदस्यों का समर्थन है। जबकि उद्धव के पास महज दो विकल्प ही बचे हैं।
1- उद्धव कानून का सहारा लें और कोर्ट जाएंः अगर उद्धव और शिंदे में बात नहीं बनती है तो ये विवाद सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग जाएगा। ऐसा भी नहीं है कि ये विवाद चुटकियों में हल हो जाए लेकिन विवाद हल होने में समय तो लगेगा ही। दोनों गुटों की अलग-अलग याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। 11 जुलाई को सुनवाई होगी ऐसे में आने वाले दिनों में दोनों गुटों का संघर्ष और तेज बढ़ेगा जिसके पास संख्याबल ज्यादा होगा वो ही शिवसेना का सिंबल अपने पास रखेगा।
2- बागी विधायकों के सामने हथियार डाल दें उद्धव: एकनाथ शिंदे खेमे के बयानों से एक बात तो साफ है वो ये है कि वो शिवसेना को विभाजिद नहीं करना चाहते हैं। ऐसे में संभव है कि दोनों गुटों के बीच समझौता हो जाए। वैसे भी शिंदे गुट अपना लक्ष्य पूरा कर चुका है उनकी मांग थी कि बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई जाए वो बन चुकी है। हालांकि दूसरी ओर आदित्य ठाकरे और संजय राउत लगातार शिंदे गुट पर हमलावर हैं ऐसे में समझौता कैसे होगा ये तो वक्त ही बताएगा।
