पिछले साल कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने वाले एपी अब्दुल्लाकुट्टी को पार्टी ने अपना राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। अब्दुल्लाकुट्टी के अलावा केरल के एक और नेता टॉम वडक्कन को बीजेपी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्त किया है। लेकिन अब्दुल्लाकुट्टी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए जाने के बाद पार्टी के अंदर ही विरोध शुरू हो गया है।
द इंडियन एक्सप्रेस में छपे लेख दिल्ली कॉन्फिडेंशियल के अनुसार, केरला में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। उससे पहले बीजेपी उपाध्यक्ष के रूप में ए पी अब्दुलकुट्टी की नियुक्ति पर राज्य के कई नेताओं ने सवाल उठाए हैं और पार्टी के इस फैसले का विरोध किया है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि राज्य के भाजपा नेताओं ने हाईकमान से इसकी शिकायत भी की है।
इसपर केंद्रीय नेतृत्व का कहना है कि अब्दुल्लाकुट्टी और टॉम वडक्कन की नियुक्ति विधानसभा चुनाव से पहले “ऑपरेशन केरल” का हिस्सा है। इसपर राज्य के नेताओं का कहना है कि उन्हें लंबे समय से नजरअंदाज किया जा रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी कहा है कि पार्टी बाहरियों पर ज्यादा ध्यान दे रही है और संगठन के लिए सालों से काम करने वालों को अनदेखी किया जा रहा है।
सीपीएम के दो बार के सांसद और फिर कांग्रेस के दो बार के विधायक रहे अब्दुल्लाकुट्टी पिछले साल भाजपा में शामिल हुए थे। इस साल की शुरुआत में उन्हें राज्य उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। अब्दुल्लाकुट्टी एसएफआई के प्रदेश अध्यक्ष थे और कन्नूर जिले से सीपीएम के नेता के रूप में उभरे। अब्दुल्लाकुट्टी ने जब पीएम नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे तब उनकी तारीफ की थी। जिसके बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया था।
इसके बाद उन्होने कांग्रेस जॉइन की और दो बार कन्नूर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। 2016 के विधानसभा चुनाव में उन्हें थालास्सेरी से हार का सामना भी करना पड़ा। 2019 में एक बार फिर उन्होने पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें ‘गांधीवादी’ कहा, जिसके बाद कांग्रेस ने भी उन्हें पार्टी से निकाल दिया। कांग्रेस से निष्कासित किए जाने के बाद अब्दुल्लाकुट्टी ने बीजेपी का दामन थामा है।

