ये न तो कोई पौराणिक पात्र हैं और न ही किसी महाकाव्य के नायक हैं, बल्कि कर्नाटक की राजधानी में कचरे की सफाई करने वाले स्वयंसेवकों के एक अज्ञात समूह हैं। ये सभी लोकप्रिय कॉमिक पुस्तक ‘अमर चित्र कथा’ के प्रकाशकों की कल्पना की राह पर चलते हुए दिखाई दे रहे हैं। आमतौर पर ऐतिहासिक आंकड़ों के साथ किवदंतियों के चित्रण से संबंधित कहानियां प्रकाशित करने वाली लोकप्रिय पत्रिका ‘अमर चित्र कथा’ ने इस बार फीचर के लिए बंगलुरु की सड़कों की सफाई में शामिल अज्ञात युवाओं के एक समूह ‘द अगली इंडियन’ को चुना है।
‘काम चालू, मुंह बंद’ के सिद्धांत के साथ गुमनाम रहकर काम करने को प्राथमिकता देने वाला यह समूह ‘द अगली इंडियन’ अब गंदे जगहों को साफ करने वाला एक प्लेटफॉर्म बन चुका है। उसके सदस्य कचरे को हटाते हैं और स्थलों को साफ-सुथरा करते हैं। जब पाटीआइ ने उनसे ईमेल के द्वारा संपर्क करने की कोशिश की, तो समूह ने जवाब दिया, ‘अगर आप मीडिया से हैं, तो हमें खेद है क्योंकि टीयूआइ की मुंह बंद रखने की सख्त नीति है। कोई भी व्यक्ति टीयूआइ की तरफ से बोलने के लिए अधिकृत नहीं है, कोई साक्षात्कार नहीं दिया जाता है और न ही किसी का नाम और मोबाइल नंबर साझा किया जाता है।’
इस समूह ने जवाब में लिखा, ‘गुमनामी ही सब कुछ है। कार्य करने दें-सभी गतिविधियां फेसबुक पर प्रकाशित की जाती हैं।’ अपने समूह के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए लिखा, ‘टीयूआइ एक एनजीओ या औपचारिक संगठन नहीं है। इसका कोई कार्यालय या नेतृत्त्वकर्ता या संस्थापक या स्थानीय इकाई नहीं है। द अगली इंडियन सिर्फ एक विचार है कि हम सभी अगली भारतीय हैं और केवल हम लोग ही अपने आप को बचा सकते हैं। द अगली इंडियन एक नजरिया है।’ इस कॉमिक पत्रिका के कवर पेज पर छपी तस्वीर में युवक और युवतियां हाथ में झाड़ू लिए हुए दिख रहे हैं और लिखा है- ‘स्वच्छ भारत-एक स्वच्छता क्रांति’। इस फीचर का शीर्षक है-‘ काम चालू, मुंह बंद : सत्य घटना पर आधारित’।