बिहार सरकार ने सोमवार की शाम हुई कैबिनेट की बैठक में अहम फैसला लेते हुए राज्य की यूनिवर्सिटीज और कॉलेज में पढ़ाने वाले टीचर्स को यूजीसी के सातवें वेतनमान का तोहफा दिया है। वहीं राज्य के गैर-शिक्षक कर्मचारियों पर राज्य सरकार का सातवां वेतनमान लागू होगा। इसी तरह रिटायर्ड कर्मचारियों पर भी यही पैटर्न लागू होगा। हालांकि रिटायर्ड अध्यापकों को संशोधित पेंशन के लिए कुछ इंतजार करना होगा, क्योंकि अभी तक यूजीसी ने इस संबंध में अंतिम फैसला नहीं लिया है। जैसे ही यूजीसी इस संबंध में कोई फैसला ले लेगी, वैसे ही बिहार सरकार भी अपने रिटायर्ड कर्मचारियों को इसका लाभ दे देगी।
हिन्दुस्तान टाइम्स की एक खबर के अनुसार, सातवां वेतनमान 1 जनवरी, 2016 से लागू होगा। हालांकि कर्मचारियों को वित्तीय फायदे 1 अप्रैल, 2017 से दिए जाएंगे। बिहार सरकार कर्मचारियों का बढ़ा हुआ एरिअर किश्तों में देगी। , वहीं कर्मचारियों को नया पे-स्केल नए वित्तीय वर्ष से मिलना शुरु हो जाएगा। सातवां वेतनमान लागू होने के बाद कर्मचारियों की सैलरी में 14-15% का उछाल आ सकता है। इससे सरकारी खजाने पर सालाना 436 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा। वहीं विभिन्न एरिअर के चलते सरकारी खजाने पर 874 करोड़ का बोझ पड़ेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, वेतनमान लागू होने के 5 साल तक विभिन्न एरिअर का 50% खर्च केन्द्र सरकार वहन करेगी। इस संबंध में जल्द ही नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि बीती 30 जुलाई को बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने सातवां वेतनमान लागू करने के लिए एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी की अध्यक्षता राजस्व बोर्ड के चेयरमैन सुनील कुमार सिंह ने की। जैसे ही कमेटी ने अपनी रिपोर्ट जमा की, वैसे ही सरकार ने सातवां वेतनमान लागू करने का फैसला सुना दिया है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, बिहार सरकार ने कमेटी द्वारा सुझायी गई सभी संस्तुति को अपनी मंजूरी दे दी है। कमेटी ने इसके साथ ही अपनी रिपोर्ट में राज्य की विभिन्न यूनिवर्सिटीज और कॉलेज में बड़ी संख्या में भर्तियां करने का भी सुझाव दिया है।

