उत्तर प्रदेश में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का पता लगाने के मकसद से किए जा रहे सर्वे का काम पूरा हो चुका है। यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद का कहना है कि 7 हजार 500 ऐसे मदरसों का पता चला है, जिनके पास मान्यता नहीं है। हालांकि, उनका यह भी कहना है कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सही आंकड़ा नवंबर में सर्वे रिपोर्ट प्रशासन को सौंपे जाने के बाद ही पता चलेगा।

उन्होंने कहा कि गुरुवार (20 अक्टूबर, 2022) को संपन्न हुए राज्यव्यापी सर्वेक्षण के माध्यम से यूपी में लगभग 7,500 गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का पता चला है। जावेद ने कहा कि यह 15 नवंबर को जिलाधिकारियों द्वारा प्रशासन को सर्वेक्षण उपलब्ध कराया जाएगा जो गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का एक सटीक आंकड़ा पेश करेगा।

उन्होंने कहा कि डेटा का उपयोग सिर्फ इन मदरसों में पढ़ने वाले और आगे बढ़ने वाले बच्चों को बेहतर गुणवत्ता शिक्षा प्रदान करने के साधन के रूप में किया जाएगा। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट प्राप्त किए जाने के बाद इन मदरसों को यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा, “मैं स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि सर्वेक्षण किसी भी मदरसे की वास्तविकता को चुनौती नहीं देता है। कोई भी मदरसा अवैध नहीं है। बोर्ड ने वर्षों से किसी भी मदरसे को मान्यता नहीं दी है, इसलिए वहां गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों की एक बड़ी संख्या होना स्वाभाविक है।”

बता दें कि मदरसों के सर्वे को लेकर सपा और एआईएमआईएम समेत कई राजनीतिक दलों ने अपना विरोध जताया था। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तो इसे मिनी एनआरसी करार दिया था। उन्होंने इस सर्वे को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला था और मांग की थी कि अगर मदरसों का सर्वे होगा तो हिंदू मठों का भी सर्वे होना चाहिए।

वहीं, सर्वे के विरोध में जमीयत उलमा ए हिंद जैसे संगठनों द्वारा बैठकें आयोजित की गईं जहां चिंतित मदरसा प्रतिनिधियों ने अपनी चिंता व्यक्त की। 16,513 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं, और 560 अनुदान प्राप्त करते हैं लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का कोई अनुमान नहीं था।