Mulayam Singh Yadav Story: सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। मुलायम सिंह यादव को सियासत में नेता जी, धरती पुत्र जैसे नामों से जाना जाता था। मुलायम सिंह यादव सियासत से पहले अखाड़े के पहलवान थे वो कुश्ती के माहिर खिलाड़ी थे। कुश्ती के प्रति मुलायम सिंह यादव की इतनी दीवानगी थी कि वो अपनी परीक्षा छोड़कर भी कुश्ती लड़ने चले गए थे। धीरे-धीरे समय बीता और देखते ही देखते मुलायम सिंह छोटे से अखाड़े की कुश्ती से निकलकर सियासत के बड़े अखाडे़बाज बन गए और उत्तर प्रदेश के जैसे बड़े सूबे के 3 बार मुख्यमंत्री बने।
कुश्ती ही उनकी सियासत में एंट्री का मुख्य जरिया बनी थी ये बात शायद हर कोई न जानता हो। तो चलिए हम आपको बताते हैं वो किस्सा जब मुलायम सिंह ने अपनी कुश्ती के धोबी पछाड़ दांव से की थी सियासत में एंट्री। एक बार मुलायम सिंह यादव ने एक दारोगा को भरे मंच पर ही धोबीपछाड़ दांव से चित कर दिया था।
सरकार विरोधी कविता पढ़ने पर दारोगा ने कवि को रोका
मामला 26 जून 1960 का है जब मैनपुरी में करहल के जैन इंटर कॉलेज के कैंपस में एक कवि सम्मेलन चल रहा था। इस कवि सम्मेलन में उस समय के मशहूर कवि दामोदर स्वरूप विद्रोही भी मौजूद थे। जैसे ही विद्रोही मंच पर पहुंचे और उन्होंने अपनी लिखी कविता ‘दिल्ली की गद्दी सावधान’ को मंच से पढ़ना शुरू किया वैसे ही एक पुलिस इंस्पेक्टर ने उन्हें रोका। दरअसल दामोदर स्वरूप विद्रोही की ये कविता तत्कालीन सरकार के खिलाफ थी। इसी वजह से UP पुलिस का इंस्पेक्टर उन्हें ये कविता पढ़ने से रोकने के लिए मंच पर चढ़ गया जब विद्रोही नहीं माने तो दारोगा ने उनका माइक छीन लिया।
भरे मंच पर दारोगा को धोबी पछाड़ दांव से पटका
मंच पर पहुंचकर पुलिस इंस्पेक्टर ने कवि को सरकार के विरोध में कविता पढ़ने के लिए डांटा और कहा कि आप सरकार के खिलाफ इस तरह से खुले मंच पर कविता नहीं पढ़ सकते हैं।
कवि और पुलिस इंस्पेक्टर के बीच मंच पर अभी बहसा-बहसी चल ही रही थी कि तभी मुलायम सिंह यादव जो उस समय महज 21 वर्ष की उम्र के थे वो भीड़ से निकलकर मंच पर जा पहुंचे और पलक झपकते ही उस पुलिस इंस्पेक्टर को पूरी जनता के सामने मंच पर ही उठाकर पटक दिया।