साल 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में दोषी करार दिए गए कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार को दिल्ली हाईकोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। शुक्रवार (21 दिसंबर) को कोर्ट ने उनकी वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने सरेंडर की समयसीमा 31 दिसंबर से आगे बढ़ाने को लेकर गुहार लगाई थी। यानी सज्जन को 31 दिसंबर को सरेंडर करना पड़ेगा। कोर्ट ने साफ कहा, “हमें ऐसा कोई आधार नहीं नजर आता, जिस पर सज्जन की सरेंडर की समयसीमा को बढ़ाया जाए।” वहीं, पूर्व कांग्रेस नेता ने अपनी याचिका में आठ नाती-पोतों का हवाला दिया था। 73 वर्षीय सज्जन ने कहा था कि उनके तीन बच्चे व आठ नाती-पोते हैं। ऐसे में वह संपत्ति से जुड़े मामलों को हल करने के लिए कोर्ट से थोड़ी मोहलत चाहते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोर्ट में सज्जन का पक्ष रख रहे वकील अनिल शर्मा बोले, “हम हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। उससे जुड़ी याचिका दाखिल करने के लिए हमें थोड़ा समय चाहिए। कोर्ट में उस पर कल सुनवाई हो सकती है।”
वहीं, पीड़ित परिवारों की तरफ से इस मामले में केस लड़ रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फूल्का ने बताया कि वह सज्जन की इस याचिका का विरोध करेंगे। बकौल फूल्का, “सज्जन ने दिल्ली हाईकोर्ट में सरेंडर करने से पहले एक वक्त का समय मांगा था, जिसके लिए उन्होंने याचिका दाखिल की थी। हम उसका विरोध करेंगे।”
बता दें कि सज्जन 1 नवंबर, 1984 को सिख दंगों के दौरान राज नगर में एक परिवार के पांच लोगों की हत्या और गुरुद्वारे में आग लगाने के मामले में दोषी पाए गए। सोमवार (17 दिसंबर) को हाईकोर्ट ने उन्हें दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई और 31 दिसंबर तक सरेंडर करने का निर्देश दिया था।
सिख दंगा केस में सज्जन को हत्या, साजिश रचने, दंगा भड़काने और भड़काऊ भाषण देने का दोषी पाया गया। कोर्ट ने उनके अलावा इस मामले में कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर, सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी भागमल और तीन अन्य को दोषी बरकरार रखा था।