निजी बसों में सफर करना अब खतरे से खाली नहीं है। हाल ही में हुए हादसे इसकी पुष्टि कर रहे हैं। गुरुवार को गाजियाबाद में एक निजी बस दुर्घटनाग्रस्त हुई, जिसमें 11 लोग घायल हो गए। इससे पहले ग्रेटर नोएडा में हुई एक अन्य बस हादसे में 14 लोग घायल हुए थे।
जानकारों का कहना है कि इन जिलों में कुल 140 निजी बसें अनफिट हालत में चल रही हैं, जो किसी भी समय दुर्घटना का शिकार हो सकती हैं। इसके बावजूद परिवहन विभाग इस ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रहा है।
वास्तविक समस्या यह है कि ये बसें लंबे समय से सड़कों पर चल रही हैं। विभाग ने कई बार बस मालिकों को नोटिस जारी किया, लेकिन फिटनेस कराए जाने में कोई कार्रवाई नहीं हुई।
हालांकि विभागीय दल दावा कर रहे हैं कि अब बसों पर शिकंजा कसने के लिए विशेष योजना बनाई जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि जो भी बस अनफिट पाई जाएगी, उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
आंकड़ों के अनुसार, गौतमबुद्धनगर जिले में 70 और गाजियाबाद जिले में भी 70 अनफिट बसें चल रही हैं।
गाजियाबाद और नोएडा की बसों पर भी निगरानी रखी जा रही है। अन्य राज्यों से आने वाली बसों के लिए निर्देश दिए जा रहे हैं। विभाग की ओर से चेकिंग अभियान चलाया जाएगा। मानक, फिटनेस और पंजीकरण न होने पर कार्रवाई कर वाहन को जब्त कर लिया जाएगा।
सियाराम वर्मा, संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन)
सुरक्षा के इंतजाम लगभग नगण्य
लंबी दूरी पर चलने वाली एसी स्लीपर बसें गंभीर खतरे का सबब बन चुकी हैं। इन बसों में मानक पूरे नहीं होते और नियमों से अधिक यात्रियों को बैठाया जाता है। ये धड़ल्ले से सड़कों पर दौड़ रही हैं। प्राइवेट बस संचालक यात्रियों को सुविधाएं देने का दावा करते हैं, लेकिन सुरक्षा के इंतजाम लगभग नगण्य हैं।
सुरक्षा उपकरणों की कमी भी चिंताजनक है। बसों में आग बुझाने के लिए केवल 8 इंच का छोटा फायर एक्सटिंग्यूशर लगाया गया है, जो आग को काबू में करने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसके अलावा, बस की छत और सीटों के नीचे बनी डिग्गी में माल रखा जाता है और वाहन चालक को माल की सामग्री का पता नहीं होता।
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