रक्षा संबंधों में आई प्रगाढ़ता को प्रदर्शित करते हुए भारत और फ्रांस ने शनिवार को युद्धक पोतों के लिए नौसैनिक अड्डों के द्वार खोलने सहित एक दूसरे के सैन्य केंद्रों के उपयोग की व्यवस्था करने वाले एक रणनीतिक समझौते पर हस्ताक्षर किए। दोनों देशों के बीच यह समझौता हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य विस्तार के बीच हुआ है। दोनों देशों ने गोपनीय या संरक्षित सूचनाओं की अदला बदली और सुरक्षा पर भी एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता ऐसे समय हुआ है जब भारत की सरकार ने अरबों डालर के भारत फ्रांस रफाल लड़ाकू विमान समझौते के बारे में विस्तृत जानकारी देने से इनकार किया है। भारत और फ्रांस ने आपसी रणनीतिक संबंधों का विस्तार करते हुए शनिवार को रक्षा, परमाणु ऊर्जा, सुरक्षा और गोपनीय सूचनाओं के संरक्षण सहित प्रमुख क्षेत्रों में 14 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। दोनों देशों ने इसके साथ ही भारत-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को और गहरा करने व आतंकवाद रोकने के संयुक्त प्रयासों को आगे बढ़ाने की भी प्रतिबद्धता जताई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कई मुद्दों पर चर्चा की और इस दौरान उन्होंने रक्षा व रणनीतिक संबंधों को और गहरा करने के तरीके खोजने के लिए सालाना मंत्रीस्तरीय रक्षा वार्ता शुरू करने का फैसला किया।
समुद्री सुरक्षा क्षेत्र में संबंधों पर फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों देश हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में शांति व स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सहयोग को ‘अभूतपूर्व’ स्तर पर जाएंगे। उन्होंने कहा कि दोनों देशों की अंतरिक्ष एजंसियां समुद्री क्षेत्र की गतिविधियों के लिए संयुक्त निगरानी तंत्र तैयार करेंगी जबकि दोनों देशों की नौसेनाएं खुफिया सूचनाएं साझा करेंगी और कोई जरूरत पड़ने पर अपने-अपने सैन्य अड्डों से संपर्क करेंगी।इसके अलावा, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और फ्रांस की उनकी समकक्ष फ्लोरेंस पार्ले ने बातचीत की और इस दौरान भारतीय नौसेना के स्कोर्पीन पनडुब्बी कार्यक्रम सहित कई खास परियोजनाओं पर विस्तृत चर्चा की गई। दोनों देशों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाने और समुद्री क्षेत्र में इसका प्रयोग करने का फैसला किया। प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के बीच बातचीत के दौरान दोनों पक्षों ने जैतापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र में काम की गति बढ़ाने का फैसला किया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और फ्रांस की अंतरिक्ष एजंसी सीएनईएस ने आपसी हित वाले क्षेत्रों में पोतों का पता लगाने, पहचान करने और निगरानी करने के सिलसिले में समझौते पर हस्ताक्षर किए। दोनों देशों ने तेज रफ्तार रेल नेटवर्कों को ध्यान में रखते हुए रेल क्षेत्र में सहयोग के लिए दो समझौते किए।
इस दौरान हिंद महासागर और प्रशांत क्षेत्र में बदलते सुरक्षा समीकरणों को लेकर भी चर्चा हुई। मोदी ने मैक्रों के साथ साझा संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हमारा रक्षा सहयोग बहुत मजबूत है और हम फ्रांस को सबसे भरोसेमंद रक्षा सहयोगियों के रूप में देखते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सेनाओं के बीच पारस्परिक लॉजिस्टिक सहयोग पर समझौता रक्षा संबंधों में एक ‘स्वर्णिम कदम’ है’। प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों पक्ष नौवहन (नेविगेशन), विमानों की उड़ान में स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के वास्ते सहयोग मजबूत करने पर सहमत हुए हैं क्योंकि हिंद महासागर क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मैक्रों ने भारतीय नौसेना के लिए स्कॉर्पीन पनडुब्बी परियोजना और वायुसेना के लिए लड़ाकू जेट सौदे के बारे में बात करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग का ‘नया महत्त्व’ है। उन्होंने कहा कि भारत ने रफाल विमान के संबंध में संप्रभु निर्णय लिया था और हम इस क्षेत्र में प्रगति की निगरानी कर रहे हैं। हम इस परियोजना को जारी रखना चाहते हैं। यह एक दीर्घकालिक अनुबंध है जो पारस्परिक रूप से लाभकारी है। मैं खुद इसे सामरिक सहयोग के रूप में देखता हूं। भारत ने 2016 में फ्रांस से 58,000 करोड़ रुपए की लागत से 36 रफाल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए सौदा किया था।
फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने समुद्री सुरक्षा पर कहा कि हिंद महासागर और प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग का स्तर ‘अभूतपूर्व’ होगा। मोदी ने अपने बयान में कहा कि दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी सिर्फ 20 साल पुरानी हो सकती है लेकिन दोनों के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक भागीदारी इससे कहीं ज्यादा पुरानी है। मैक्रों ने कहा कि हमारे बीच रणनीतिक सहयोग में आतंकवाद और कट्टरता प्रमुख विषय है। दोनों नेताओं के बीच इस्लामिक आतंकवाद को लेकर भी चर्चा हुई।