मणिपुर में फिर से शुरू हुए जारी जातीय संघर्ष में 24 घंटे में 10 लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह वहां पहुंच चुके हैं। राज्य में जातीय हिंसा का समाधान निकालने और शांति बहाल करने के लिए वह मंगलवार (30 मई, 2023) को अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। कल दिल्ली के जंतर-मंतर पर हमार, कुकी, मिजो और जोमी जनजाति की सैकड़ों महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन कर मणिपुर में तनावपूर्ण स्थिति को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की मांग की थी।

गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि अमित शाह दिल्ली से एक विशेष विमान से इंफाल पहुंचे। गृह सचिव अजय भल्ला और अन्य अधिकारी भी उनके साथ मणिपुर पहुंचे हैं। सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्री राज्य में स्थिति का आकलन करने और यहां समान्य स्थिति बहाल करने के लिए आज कई दौर की बैठकें कर सकते हैं। अमित शाह संवावददाता सम्मेलन को भी संबोधित कर हालात को नियंत्रण करने के लिए सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदमों की भी घोषणा कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, अमित शाह गुरुवार को दिल्ली लौटेंगे। वहीं, सोमवार को जंतर-मंतर पर प्रदर्शनकारियों ने पोस्टर और राष्ट्रीय ध्वज लेकर विरोध प्रदर्शन किया और न्याय की मांग के नारे लगाए। बारिश के बीच भी उन्होंने प्रदर्शन जारी रखा।

राज्य में जारी हिंसा के बीच सेना के काफिले पर भी उग्रवादियों ने हमला बोला है, जिससे बचने के लिए सेना ने अपना अभियान अभ्यास तेज कर दिया है। सेना और अर्धसैनिक बलों ने कम से कम 22 शरारती तत्वों को पकड़ा है और 40 को ढेर कर दिया है। इनके पास से हथियार, गोला बारूद और ग्रेनेड बरामद हुए हैं। इस बीच राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की भी मांग उठने लगी है। चुराचंदपुर में जनजातियों के एक समूह और जनजातीय नेताओं के मंच ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है।

मणिपुर का मैतेई समुदाय अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग कर रहा है, जिसके विरोध में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ का आयोजन किया गया था। उसके बाद जातीय झड़पों में 75 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। आरक्षित वन भूमि से कुकी ग्रामीणों को बेदखल करने पर पहले से ही वहां तनाव गहराया हुआ था। मैतेई समुदाय मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं।