अपनी बेबाकी और साफगोई के लिए साध्वी उमा भारती की अलग पहचान रही है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद उन्होंने जो ट्वीट किया, वह खूब चर्चित हुआ। उन्होंने लिखा- दिल्ली विधानसभा चुनाव का संदेश। चुनाव के परिणाम साफ बता रहे हैं कि भाजपा में, भारत में प्रधानमंत्री के समकक्ष कोई नेता नहीं। सियासी पंडितों ही नहीं अक्ल के अंधों तक ने इसका यही अर्थ निकाला कि भाजपा में हाशिए पर चल साध्वी ने उन पर तंज कसा है। पार्टी नेतृत्व ने तो हार के कारणों की उचित समय पर समीक्षा की बात कही थी पर उमा भारती ने अपनी तरफ से समीक्षा करने में देर नहीं लगाई। मीडिया में इसकी चर्चा हुई तो अगले दिन साध्वी ने फिर ट्वीट कर दिया- पूरे देश की जनता मोदी जी को तथा मोदी जी पूरे देश की जनता को आत्मसात कर चुके हैं। छत्रपति मोदी जिंदाबाद। इस ट्वीट के बाद तो सोशल मीडिया पर टिप्पणियों की बाढ़ आ गई।
भाजपा से बगावत के बाद उमा ने अपनी अलग भारतीय जनशक्ति पार्टी बनाई थी। नितिन गडकरी ने अध्यक्ष बनने के बाद उन्हें पार्टी में वापस तो लिया पर उनके अपने सूबे मध्य प्रदेश से निर्वासन की शर्त के साथ। पिछड़े तबके की इस कद्दावर नेता ने यूपी की चरखारी सीट से 2012 का विधानसभा चुनाव लड़ने से गुरेज नहीं किया। हालांकि भाजपा को चाहिए था कि उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करती। दो साल बाद हुए लोकसभा चुनाव में वे झांसी से जीत कर मोदी सरकार में मंत्री तो जरूर बनीं पर रहीं लगातार असहज। बीच में उन्हें इस्तीफा देने को कहा गया तो नहीं मानी।
नतीजतन उनका पसंदीदा जल संसाधन विकास मंत्रालय बदल गया। तभी से वे पार्टी लाइन के विपरीत बोलती रहीं। अपने टिकट पर खतरा देख खुद ही कह दिया कि 2019 में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। पार्टी ने भी आग्रह नहीं किया। दिखावे को उन्हें संगठन में उपाध्यक्ष का पद जरूर दे दिया। यानी वे अब पार्टी में प्रभावहीन हैं। जाहिर है कई राज्यों में मिली हार के बावजूद प्रधानमंत्री को छत्रपति बता उन्होंने व्यक्तिनिष्ठ बन रही अपनी पार्टी को आइना दिखाया है। गौर कीजिए कि छत्रपति का विशेषण देश में केवल मराठा शासक शिवाजी के लिए ही प्रयोग होता है।