पश्चिम बंगाल में अब मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच दिखने लगा है। नतीजे चाहे जो दिखाएं पर जुबानी जंग से तो ऐसी ही तस्वीर बनती है। सियासत में कुछ भी असंभव नहीं की तर्ज पर दोनों पार्टियों के नेता एक-दूसरे को पटखनी देने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं दे रहे। हालांकि भाजपा को पिछली दफा यहां 42 में से महज दो सीटों पर ही सफलता मिल पाई थी। विधानसभा चुनाव में तो उसका प्रदर्शन और भी खराब रहा था। पर सकारात्मक पहलू यह है कि भाजपा ने 2009 की तुलना में 2014 में अपना जनाधार बढ़ाया था। कांग्रेस और वाम मोर्चे की हालत तो लगातार कमजोर ही हुई है। ताजा विवाद भाजपा की सूबे के मुख्य चुनाव अधिकारी को लेकर सामने आई शिकायत से बढ़ा है।

भाजपा ने आरिज आफताब को ममता बनर्जी का करीबी अफसर बता दिया है। ममता का साथ छोड़ कर भगवा बाना ओढ़ चुके मुकुल राय पिछले कुछ दिनों के भीतर आफताब से कई मुलाकात कर चुके हैं। भाजपा को लगता है कि निष्पक्ष चुनाव कराने के बजाए आफताब ममता की सलाह से फैसले ले रहे हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त से शिकायत में यही आरोप लगाया है। सूबे के विशेष पुलिस पर्यवेक्षक विवेक दुबे से मिलकर भी मुकुल राय ने अपनी आपत्ति जता दी। इतना ही नहीं आफताब की मौजूदगी में दुबे से किसी भी तरह की चर्चा से भी इनकार कर दिया। नतीजतन आफताब को कमरे से बाहर जाना पड़ा। मुकुल राय ने तो सूबे के कई आला पुलिस अफसरों के बारे में भी दुबे से दुखड़ा रोया।

भाजपा चाहती है कि फरवरी में जिन अफसरों ने मुख्यमंत्री की सभा में शिरकत की थी उन्हें चुनाव आयोग चुनाव की ड्यूटी से हटाए। अभी तो आयोग ने कोई फैसला सुनाया नहीं है क्योंकि केवल शिकायत के आधार पर तो कार्रवाई हो नहीं सकती। शिकायत की पड़ताल के लिए पहले तो टीम भेजेगा आयोग। जाहिर है कि भाजपा और तृणमूल कांग्रेस की जंग अभी और तेज होगी। प्रधानमंत्री और ममता के बीच चुनावी सभाओं में लग रहे आरोप-प्रत्यारोप भी इसकी आहट दे रहे हैं।