गोवा की गिनती अभी तक देश के बाकी राज्यों से महज इस मायने में ही अलग होती थी कि यहां समान नागरिक संहिता लागू है। हालांकि, सूबे में ईसाई अल्पसंख्यकों की खासी तादाद है। गोवा गुलामी के दौर में अंग्रेजों के नहीं बल्कि पुर्तगालियों के अधीन था। आजकल गोवा ने एक नया मुकाम पाया है। बीमार मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने मगर दो मंत्रियों की बीमार होने के कारण मंत्रिमंडल से छुट्टी की खबर से। पिछले साल हुए चुनाव में सूबे की 40 में से 16 सीटें पाकर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी। भाजपा को तब महज 12 सीटें ही मिली थीं। हालांकि बाद में जरूर उपचुनाव के जरिए उसने अपनी संख्या बढ़ा कर 14 कर ली। बहरहाल केंद्र में अपनी सरकार होने का भाजपा ने भी वैसा ही फायदा उठाया जैसा कांग्रेस उठाती रही। दूसरे दलों और निर्दलियों के समर्थन के बल पर सरकार के गठन का अवसर ले लिया राज्यपाल से। कांग्रेसी गुणा-भाग ही करते रह गए।

बेशक इस पावर गेम के चक्कर में मनोहर पर्रीकर को दिल्ली से गोवा भेजना पड़ा केंद्र से इस्तीफा दिला कर। लेकिन साफ-सुथरी छवि वाले पर्रीकर अपना प्रशासनिक कौशल दिखा पाते इससे पहले ही अग्नाशय (पैंक्रियाज) की बीमारी की चपेट में आ गए। पहले तो इलाज मुंबई में कराया मगर आराम नहीं मिला तो अमेरिका गए। महीनों में वापसी हुई। तो भी सरकार चलती रही। मुख्यमंत्री के बिना कैसी चली होगी, कोई भी समझ सकता है। मुश्किल यह थी कि उनकी जगह किसी और को मुख्यमंत्री बनाने से जुगाड़ वाली सरकार खतरे में पड़ जाती। पर पर्रीकर की सेहत फिर भी नहीं सुधर पाई तो पिछले महीने दिल्ली के एम्स में दाखिल करना पड़ा उन्हें। इस बीच उन्हें बदलने की चर्चाएं चली तो आलाकमान ने दो टूक नकार दिया।

अलबत्ता अचानक भाजपा के दो मंत्रियों की जरूर राजभवन ने बीमार मुख्यमंत्री की सलाह पर छुट्टी कर दी। फ्रांसिस डिसूजा और पांडुरंग मदकईकर की जगह मिलिंद नाईक और निलेश कैबरेल को बना दिया मंत्री। दलील दी गई कि दोनों अस्वस्थ हैं लिहाजा सरकारी कामकाज प्रभावित हो रहा था। मजे की बात तो यह है कि इन दोनों के मंत्रालयों का कामकाज भी अपने 28 विभागों के साथ लगातार बीमार चल रहे मुख्यमंत्री पर्रीकर ही देख रहे थे। लक्ष्मीकांत परसेकर की सरकार में उपमुख्यमंत्री रह चुके डिसूजा को अपनी छुट्टी होना अखरा। अमेरिका से ही फट पड़े- दो दशक तक निष्ठा से सेवा करने का इनाम दिया है पार्टी ने। हटाने की सूचना तक नहीं दी। जबकि मदकईकर मुंबई के लीलावती अस्पताल में मस्तिष्क आघात के चलते शायद कुछ न कह पाए हों। जो भी हो कांग्रेस के गोवा के सूबेदार को खिल्ली उड़ाने का मौका मिल गया। गिरीश चोडंकर ने खिल्ली उड़ाई कि बीमारी के आधार पर मंत्री तो हटा दिए लेकिन मुख्यमंत्री बरकरार हैं। भाजपा की सहयोगी शिवसेना भी वार करने से चूकी नहीं। उसने तो पूरी गोवा सरकार को ही बता दिया आइसीयू में।