घोटालों के फेर में खूब रुलाया केंद्र सरकार ने दीदी को। पश्चिम बंगाल के कई चिटफंड घोटाले तृणमूल कांग्रेस के कई धुरंधरों के जी का जंजाल बने थे। लेकिन वक्त सदा एक सा नहीं रहता। अब दीदी यानी ममता बनर्जी के भी दिन बहुर रहे हैं। केंद्र सरकार और भाजपा पर हमले का कोई न कोई मुद्दा मिल ही जाता है। नोटबंदी, जीएसटी और सरकारी नीतियों के खिलाफ मुहिम चलाने वाली सूबे की मुख्यमंत्री को पंजाब नेशनल बैंक घोटाले ने नई ताकत दी है। जब से नीरव मोदी के भागने की बात उजागर हुई है तभी से ममता लगातार केंद्र की भाजपा सरकार को दोषी ठहरा रही हैं। वे तो मनीलांड्रिंग के गोरखधंधे में और भी सरकारी बैंकों के शामिल होने का आरोप लगा रही हैं।
इतना ही नहीं दोषी बैंकों के आला प्रबंधन को बचाने का भी आरोप जड़ा है। ममता की मांग है कि दोषी बैंक अफसरों को पनाह देने वालों को बेनकाब किया जाए। उनका तो यहां तक दावा है कि इस घोटाले की बुनियाद नोटबंदी से भी काफी पहले तैयार हो गई थी। कई सरकारी बैंकों में गुपचुुप तरीके से शिखर पर प्रबंधक तैनात हुए थे। उनके पास अपने आरोप को साबित करने के लिए दस्तावेजी सबूत हैं और सबूत कभी झूठ नहीं बोलते।
ममता तो इस घोटाले की उच्च स्तरीय और तह तक जांच चाहती हैं ताकि तमाम दोषी बेनकाब हों। जब तक आम लोगों का धन सुरक्षित होने की गारंटी नहीं मिलेगी, वे केंद्र सरकार के खिलाफ अभियान जारी रखेंगी। उन्होंने जमा बीमा विधेयक के जरिए भी बैंकों में जमा लोगों के पैसे को हड़पने के प्रयास का आरोप लगाया है। यहां तक कि भाजपा के राज को देश की बदनसीबी तक कह दिया। आधा देश बकौल दीदी भूखा मर रहा है लेकिन दिल्ली में भाजपा ने अपने पांच सितारा दफ्तर के निर्माण पर बेहिसाब रुपए खर्च किए हैं।