स्वामी राज राजेश्वराश्रम हैं तो जगदगुरू आश्रम के पीठाधीश्वर। पर एक पीठ के शंकराचार्य भी ठहरे। कनखल में है यों उनका असली आश्रम। स्वामी प्रकाशानंद थे इसके पीठाधीश्वर। पर अपने चेले डॉक्टर राजीव शर्मा को अपने जीवनकाल में ही संन्यास की दीक्षा दे अपना उत्तराधिकारी बना गए थे। कहने को हरिद्वार में साधू- संन्यासियों और बाबाओं की कमी नहीं। पर आजकल नेताओं की भीड़ कनखल के जगदगुरू आश्रम में ही ज्यादा जुटती है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हों या आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत। हर कोई राज राजेश्वराश्रम के दरबार में मत्था टेकने जरूर पहुंचता है। शनिवार को तो कमाल ही हो गया। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की महागर्जना रैली थी हरिद्वार में। पर हलचल जगदगुरू आश्रम में ज्यादा दिखी।
रमेश पोखरियाल निशंक, विजय बहुगुणा और भगत सिंह कोश्यारी तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपने आश्रम में पंगत पर बैठा कर भोजन करा दिया। सतपाल महाराज को पता लगा तो वे भी पहुंच गए। हालांकि भुवनचंद खंड़ूड़ी जानबूझ कर बाद में आए। रात में अमित शाह पहुंचे, तो हर कोई हैरान रह गया। उनके साथ उत्तराखंड के भाजपा प्रभारी श्याम जाजू को तो जाना ही पड़ता। देर तक बतियाए राज राजेश्वराश्रम से अमित शाह। दोबारा जल्द दिल्ली में मिलने का वादा कर रात की रेलगाड़ी से हल्द्वानी रवाना हो गए। शाह भी उसी विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता थे गुजरात में, जिसके पूर्णकालिक संगठन मंत्री का जिम्मा संभाला था संन्यास लेने से पहले राज राजेश्वराश्रम ने। भेष और वाणी बेशक धार्मिक हो गए हैं पर दिमाग तो अब भी सियासी ही है संन्यासी का।