दीदी के लिए गुरुवार का दिन दोहरी खुशखबरी लाया। एक तरफ महाराष्ट्र की सत्ता से भाजपा बेदखल हुई और तीन दलों के ‘महाविकास आघाड़ी’ के उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बन गए। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा राज्य है। पहले भाजपा की सीटें घटीं, फिर शिवसेना का गठबंधन टूटा और अब सत्ता गई। लोकसभा चुनाव में मिली बंपर सफलता का ज्वार इतनी तेजी से उतरा। हरियाणा में दावा पचहत्तर पार का था पर सीटें 47 से घटकर 40 रह गई। झारखंड के नतीजों पर सबकी नजर रहेगी।
पर ममता बनर्जी की दूसरी और असली खुशखबरी तो विधानसभा की तीन सीटों के उपचुनाव के नतीजों में दिखी। तीनों सीटें तृणमूल कांग्रेस ने जीत ली। कालियागंज सीट तृणमूल कांग्रेस के तपन देव सिन्हा ने भाजपा के कमल चंद्र सरकार को हराकर जीती। खड़कपुर सदर में तृणमूल के प्रदीप सरकार ने जीती थी 2016 में। जो भाजपा के सूबेदार ठहरे। वे मेदिनीपुर से लोकसभा चुनाव जीत गए तो इस सीट पर उपचुनाव हुआ।
सूबे का मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे घोष अपनी सीट भी न बचा पाए। तीसरी सीट करीमपुर में तृणमूल कांग्रेस के बिमलेंदु सिन्हा राय ने भाजपा के जयप्रकाश मजूमदार को हरा दिया। इन नतीजों ने ममता का मनोबल बढ़ाया है, जिन्हें भाजपा ने लोकसभा चुनाव में झटका दिया था। अब 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपाई खौफ से कुछ तो मुक्त महसूस करेंगी ममता।