दूसरी कसम
उत्तराखंड के ‘शेर’ कहे जाने वाले भाजपा और राज्य सरकार से बर्खास्त मंत्री हरक सिंह रावत की सारी हेकड़ी भाजपा हाईकमान ने एक झटके में निकाल दी। उन्हें भनक भी नहीं लगी और तुरंत पार्टी व सरकार से बर्खास्त कर दिया गया। बर्खास्त होने के बाद बड़े जोर-शोर से हरक सिंह रावत ने कांग्रेस के गुणगान किए।

दावा किया कि कांग्रेस को 45 सीटें विधानसभा में दिलवाएंगे। उन्होंने कसम खाई कि दोबारा भाजपा में कभी शामिल नहीं होंगे। 2016 में हरीश रावत सरकार से बगावत करते वक्त भी हरक सिंह रावत ने कसम खाई थी कि वे कभी कांग्रेस में नहीं आएंगे। लेकिन पांच साल बीते भी नहीं कि हरक सिंह रावत दूसरी कसम खाते हुए कांग्रेस की शरण में आ गए। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उन्हें लोकतंत्र का हत्यारा बताया और कहा कि उन्होंने मेरी सरकार गिराते समय लोकतंत्र और नैतिक मूल्यों की हत्या की थी।

वे अपने किए गए पाप के लिए माफी मांगें। हरीश रावत के सभी समर्थक विधायकों और उनके समर्थक कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हरक सिंह रावत की कांग्रेस में वापसी का जबरदस्त विरोध किया। हरक सिंह रावत की स्थिति आसमान से गिरे खजूर में लटके वाली हो गई। जो उनकी धाक थी वह धरी की धरी रह गई।

कांग्रेस में हरक सिंह रावत को वापस लेने के लिए नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने जबरदस्त पैरवी की। श्रीनगर गढ़वाल से गोदियाल विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे और श्रीनगर पौड़ी गढ़वाल में हरक सिंह रावत का अच्छा प्रभाव है। इसलिए वे अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए हरक सिंह रावत का समर्थन कर रहे हैं।

उनके अपने आका हरीश रावत से इस मामले में गहरे मतभेद हो गए हैं और गोदियाल हरीश रावत का खेमा छोड़कर प्रीतम सिंह के खेमे में आ गए हैं। छह दिन की मशक्कत के बाद हरक सिंह रावत आखिरकार कांग्रेस में शामिल हो गए। हरीश सिंह रावत ने उन्हें कांग्रेस का तिरंगा पटका पहनाया। उनकी पुत्रवधु अनुकृति भी कांग्रेस में शामिल हुई हैं। लेकिन कांग्रेस के कोई केंद्रीय नेता इस अवसर पर मौजूद नहीं थे।

रेकार्ड तोड़ एसआइटी
हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू एक अरसे से केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं। उनके पुलिस महानिदेशक बनने के दौरान कई घटनाएं ऐसी हुई कि उन्हें इन घटनाओं की जांच के लिए एसआइटी गठित करनी पड़ी।

कुछ भी अनोखा घट जाता वह झट से एसआइटी बना देते । एक बार मुख्यमंत्री के सुरक्षा प्रभारी को कुल्लू के तत्कालीन एसपी ने तमाचा मार दिया। कुंडू ने तुरंत एसआइइटी गठित कर दी। उसके बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा बिलासपुर के दौरे पर आए थे पुलिस के परिजनों ने पुलिस कर्मचारियों की मांगों को लेकर नड्डा का रास्ता रोक दिया।

नड्डा की सुरक्षा में चूक को लेकर कुंडू को एक बार फिर एसआइटी बनानी पड़ी। इस एसआइटी ने अब तक क्या किया, किसी को पता नहीं है। इसके बाद हमीरपुर में एक एसएचओ को विजीलेंस ने कथित तौर पर रिश्वत लेते गिरफ्तार करने की कोशिश की।

अपनी ओर विजीलेंस टीम को देखते हुए वह एसएचओ अपनी गाड़ी में बैठा और विजीलेंस की टीम को रौंदने का डर दिखाते हुए अपनी गाड़ी भगा ले गया। इस एसएचओ का जब दो एक दिन तक पता नहीं चला तो कुंडू ने एक और एसआइटी गठित कर दी।

दीगर है कि यह एसआइटी इस एसएचओ को नहीं पकड़ पाई। इस एसएचओ ने अदालत से अंतरिम जमानत ले ली। अब हाल ही में मंडी में जहरीली शराब पीने से आधा दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। कुंडू ने इस मामले में भी एसआइटी गठित कर दी है। इस एसआइटी का मुखिया डीआइजी को बनाया गया।

हद तब हुई जब इसमें एनआइए से प्रतिनियुक्ति से लौटे एक अन्य एसपी को शामिल कर लिया गया। कुंडू ऐसे डीजीपी हो गए हैं जिनके कार्यकाल में सबसे ज्यादा एसआइटी गठित की गई।

राजनीति की रीति पर रीता
रीता बहुगुणा जोशी ने अपने बेटे के लिए विधानसभा सीट मांग कर राजनीति की रीत ही निभाई है। पर पार्टी ने कहा कि एक व्यक्ति एक पद ही नहीं एक परिवार में सिर्फ एक सदस्य को मिलेगा टिकट।

वंशवाद का विरोध तो भाजपा का थोथा सिद्धांत ठहरा। कल्याण सिंह राज्यपाल थे और बेटा एटा का सांसद। मगर भाजपा ने उनके पौत्र संदीप सिंह को 2017 में अनुभवहीनता के बावजूद न सिर्फ विधानसभा टिकट दिया बल्कि जीतने पर मंत्री भी बनाया। प्रेम कुमार धूमल के साथ पुत्र अनुराग ठाकुर कब से सांसद और मंत्री हैं।

वसुंधरा राजे के साथ पुत्र दुष्यंत सिंह हैं तो राजनाथ सिंह के साथ उनके पुत्र पंकज सिंह विधायक। येदियुरप्पा खुद कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे तो एक बेटा सांसद और दूसरा पार्टी पदाधिकारी। तो भी रीता बहुगुणा ने हरियाणा के नेता बीरेंद्र सिंह का रास्ता अपनाया।

बीरेंद्र सिंह ने अपने बेटे बिजेंद्र के लिए 2019 में लोकसभा टिकट मांगी तो पार्टी ने मंत्रिपद से इस्तीफे की शर्त लगा दी। उन्होंने मंत्रिपद भी छोड़ दिया और दो साल के लिए बची अपनी राज्यसभा सीट भी।

अगर रीता ने बेटे को विधानसभा टिकट दिलाने के लिए अपनी प्रयागराज की लोकसभा सीट छोड़ने की पेशकश की तो फिर क्या बुरा था। इस पेशकश की प्रदेश भाजपा के महामंत्री-सांसद सुब्रत पाठक ने जिस अंदाज में खिल्ली उड़ाई वे भाजपा में आने के फैसले पर पछता रही होंगी।
(संकलन : मृणाल वल्लरी)