अब चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को लोग राजनीतिक अवतार में देखेंगे। पीके के नाम से मशहूर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने गुरुवार को पटना में आयोजित प्रेस सम्मेलन में खुद इसका एलान किया। पीके ने दावे तो काफी लंबे-चौड़े किए पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कटाक्ष फिर तीन हजार किलोमीटर लंबी पदयात्रा करने की पीके की योजना पर ही किया। फरमाया कि कुछ ज्यादा ही लंबी हो जाएगी पदयात्रा।

यह बात अलग है कि पीके घोषित तौर पर नीतीश कुमार को अभी भी पिता तुल्य ही बता रहे हैं। बेशक उन्होंने बिहार में बदलाव और नई सोच की जरूरत बताई है। वे दावा तो बिहार में नई सोच, बदलाव और सुराज का हिमायती होने का कर रहे हैं। पीके अपनी पदयात्रा की शुरुआत चंपारण से करेंगे।

इस दौरान करीब 17 हजार लोगों से बात करेंगे। जरूरत पड़ी तो राजनीतिक दल बनाएंगे। कुछ इसी अंदाज में अरविंद केजरीवाल भी कूदे थे सियासी दंगल में। पीके मूल रूप से बिहारी हैं। लिहाजा राजनीति का मैदान भी उन्हें बिहार को ही बनाना चाहिए। बक्सर जिले में 1977 में जन्मे पीके का ननिहाल पड़ोस के बलिया जिले में है। हालांकि बलिया ठहरा यूपी का हिस्सा। पीके 2014 में मोदी सरकार को सत्ता में लाने की वजह से चर्चा में आए थे। पर चुनावी रणनीति को अंजाम देने का काम उन्होंने सदैव पर्दे के पीछे रहकर ही किया।

वे इंडियन पालिटिकल एक्शन कमेटी (आई-पैक) नाम का संगठन चलाते हैं। पीके के आरोप से नीतीश भी नाराज हुए होंगे। उन्होंने कह दिया कि लालू और नीतीश के 30 साल के राज के बाद भी बिहार आज देश का सबसे पिछड़ा और सबसे गरीब राज्य है। इस सच्चाई को कोई झुठला नहीं सकता है। बिहार अगर आने वाले समय में अग्रणी राज्यों की सूची में आना चाहता है तो इसके लिए नई सोच और नए प्रयास की जरूरत है।

कोई भी यह दावा नहीं कर सकता कि यह सोच और नए प्रयास की क्षमता किसी एक व्यक्ति के पास है। पीके ने इस सोच को खारिज किया है कि बिहार में केवल जाति के आधार पर वोट मिलता है। पीके कोरोना के खत्म होने का इंतजार कर रहे थे। हालांकि उनके आलोचक तो यही कहेंगे कि कांगे्रस के साथ दाल नहीं गली तो अपनाना पड़ा उन्हें यह रास्ता।

चार दिन की एकता
हिमाचल में कांग्रेस पार्टी ने अपना अध्यक्ष बदल दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को पार्टी का नया अध्यक्ष बनाया गया है। उनके साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए गए हैं। अध्यक्ष पद संभालने के दौरान प्रतिभा सिंह व उनके खेमे ने जमकर शक्ति प्रदर्शन भी किया। जब प्रतिभा सिंह भाषण दे रही थीं तो पूर्व पार्टी अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर बीच में से ही उठ कर चल दिए। उनके साथ उनके कुछ गिनेचुने समर्थक भी उठ कर आ गए। प्रतिभा सिंह को राठौर की जगह ही अध्यक्ष बनाया गया है।

इसके अलावा इस समारोह से पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा भी गायब रहे। बताया जा रहा है कि आनंद शर्मा इन दिनों लंदन में हैं। कांग्रेस के तमाम विधायक व बाकी नेता बिना तामझाम के समारोह स्थल तक पहुंचे। लेकिन जब हालीलाज कांग्रेस का काफिला आया तो ढोल-नगाड़ों के साथ समर्थकों का हुजूम भी पीछे चलता आया। अगर शक्ति प्रदर्शन का खेल विधानसभा चुनावों तक ऐसा ही चलता रहा तो कांग्रेसियों का कहना है कि यह एकजुटता दिखावा ही है।

कुलदीप राठौर की कमान में दो नगर निगमों और उपचुनावों में चारों सीटें कांग्रेस ने जीती थी। तब गुटबाजी भी ज्यादा नहीं उभरी थी। जिस पार्टी अध्यक्ष की कमान में कांग्रेस ने उपचुनाव जीते हैं उन्हें हटाने वाले कांग्रेसी पार्टी का भला कैसे चाह सकते हैं। अब प्रतिभा सिंह नई अध्यक्ष बन गई हैं। चार कार्यकारी अध्यक्ष हैं। प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह अलग से ही उछल-कूद कर रहे है। ऐसे में एकजुटता की यह बानगी चंद ही दिनों की लग रही है।

भतीजे की भावना
एक वक्त था जब महाराष्ट्र की सियासत में कयास लगाए जाते थे कि बालासाहब ठाकरे का उत्तराधिकारी कौन बनेगा। उस समय बालासाहेब के पुत्र उद्धव ठाकरे सियासी संकोची के रूप में दिखते थे और उनके भतीजे राज ठाकरे की एक मजबूत छवि बन रही थी। लेकिन वक्त के साथ बालासाहेब ने अपने पुत्र उद्धव को ही अपना उत्तराधिकारी बनाया जो आज महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं। लेकिन इन दिनों राज ठाकरे जितनी शिद्दत से बालासाहेब को याद कर रहे हैं वह सियासी गलियारों में चर्चा का विषय है।

राज ठाकरे ने ट्विटर पर बालासाहेब का वह वीडियो डाला जिसमें वे सड़क पर नमाज पढ़ने और मस्जिदों के लाउडस्पीकर के खिलाफ बोल रहे हैं। राज ठाकरे उद्धव पर इस बात के लिए निशाना साध रहे हैं कि हिंदू हृदय सम्राट के पुत्र होते हुए भी हनुमान चालीसा से डरते हैं। राज ठाकरे का भगवा शाल भी लोगों की नजर में आ रहा है जिसे वे इन दिनों बाला साहेब की शैली में ही ओढ़ रहे हैं।

साल 2006 में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की स्थापना के बाद भी राज ठाकरे का सियासी कद नहीं बढ़ा और उनके चचेरे भाई मुख्यमंत्री हैं। अब राज ठाकरे यही दिखाने की कोशिश में हैं कि बालासाहेब के असली वैचारिक उत्तराधिकारी वे ही हैं। शिवसेना की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने राज ठाकरे की इस नकल पर बालासाहेब ठाकरे का वीडियो डालते हुए तंज कसा। प्रियंका चतुर्वेदी ने अपने ट्वीट में कहा कि नकल करने वाले कभी भी आगे नहीं बढ़ सकते हैं। (संकलन : मृणाल वल्लरी)