विधानसभा चुनाव की अभी घोषणा बाकी है पर सत्तारूढ़ भाजपा के नेताओं के बीच राजस्थान में आपसी कलह बढ़ रही है। अभी तक तो छुटभैए ही आपस में जूतम पैजार करते थे पर अब बड़े नेताओं के बीच भी हाथापाई की नौबत आम है। दरअसल वसुंधरा सरकार ने चुनाव की घोषणा से पहले सरकारी कर्मचारियों के तबादलों का खेल शुरू कर रखा है। चुनाव की घोषणा के बाद तो सरकार किसी का तबादला कर नहीं पाएगी। अदला-बदली में विधायकों की पौ-बारह हो गई है। हालांकि अधिकार विभागीय मंत्री के पास ठहरा। पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं के लिए यह मौसम अपनी आर्थिक सेहत सुधारने वाला भी है। शिक्षकों के तबादलों को लेकर दो मंत्री ही आपस में भिड़ गए। शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी और चिकित्सा राज्यमंत्री बंशीधर बाजिया में पहले तो झड़प और गाली-गलौच ही हुई। पर कुछ देर बाद दोनों में थप्पड़ चलने लगे।

बाजिया खुद देवनानी के घर पहुंचे थे। अपनी सिफारिश पर तबादले नहीं होने से लाल-पीला हो रहे थे। दोनों की इस जंग की खबर पार्टी आलाकमान तक भी पहुंच ही गई। पार्टी के प्रदेश दफ्तर का है दूसरा ऐसा वाकया। चिकित्सा मंत्री कालीचरण सर्राफ जन सुनवाई कर रहे थे कि आदिवासी संसदीय सचिव भीमा भाई पहुंच गए तबादले की अर्जियां लेकर। मंत्री ने अर्जी लेकर रख ली। इस पर भीमा भाई का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उन्होंने मंत्री को जमकर हड़काया। बताया कि उनके मंत्रालय में तबादले किस आधार पर हो रहे हैं, वे बखूबी जानते हैं। भीमा भाई अकेले में धमकाते तो कोई बात न थी पर उनके साथ तो दर्जनों कार्यकर्ता भी थे।

पूर्व मंत्री नरपत सिंह राजवी की अपने इलाके के पार्षद और जयपुर के मेयर अशोक लाहोटी से अनबन जगजाहिर है। भैरोसिंह शेखावत के दामाद हैं राजवी। वसुंधरा विरोधी खेमे में हैं तो सूबे की नौकरशाही कोई भाव दे ही नहीं रही। जयपुर नगर निगम के भ्रष्टाचार की शिकायतें मुख्यमंत्री और अमित शाह तक को भेजी हैं। पर वसुंधरा खेमा उनका इस बार टिकट ही कटवा देने का दम भर रहा है। ऐसे में राजवी भी खुलकर अपनी ही सरकार पर वार कर रहे हैं। सूबे में पार्टी की छवि को ऐसी घटनाओं से खूब बट्टा लगा है। नतीजतन संघी संगठन मंत्री चंद्रशेखर ने मंत्रियों और बड़े नेताओं को बुला कर संयम बरतने की नसीहत दे डाली।