अतिथि के प्रति आदर का भाव भारतीय संस्कृति की मुख्य बातों में से एक है। हमारे शास्त्रों में ‘अतिथि देवो भव:’ के द्वारा अतिथियों की तुलना देवताओं से करते हुए अतिथि के प्रति विशेष सम्मान रखने की बात समझाने का प्रयास किया गया है। ‘अतिथि देवो भव:’ की इस सनातन उक्ति को अगर वर्तमान संदर्भ में देखें तो आज के इस बाजारवादी युग में जब हर चीज हानि-लाभ के तराजू में तोली जाने लगी है, अतिथि के प्रति सम्मान भी इससे अछूता नहीं रह गया है। आज अतिथि-सम्मान किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के विकास में अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला पर्यटन उद्योग बन चुका है।

भारत समेत दुनिया का लगभग हर विकसित व विकासशील देश आज पर्यटन उद्योग को लेकर अत्यंत गंभीर व सजग है। भारत में तो यह तीसरा सबसे बड़ा सेवा उद्योग है। इस उद्योग के संबंध में भारत की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत सरकार में बाकायदा इसके लिए पर्यटन मंत्रालय एक नोडल एजेंसी के रूप में सक्रिय है जिसका कार्य भारत में पर्यटन उद्योग का विकास व संवर्द्धन करना है। मुख्यत: इसके अंतर्गत पर्यटन में निवेश की नीतियां व कार्यक्रम बनाना तथा केंद्र और राज्य सरकार के पर्यटन संबंधी कार्यक्रमों आदि का समन्वय करना आता है। पर्यटन उद्योग के प्रति भारत की इस गंभीरता को और अच्छे से समझने के लिए हमें भारतीय अर्थव्यवस्था को इससे होने वाले लाभ के विषय में थोड़ा गहराई से जानना-समझना होगा। एक आंकड़े के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्यटन उद्योग का अंशदान छह प्रतिशत से अधिक है। साथ ही भारत के कुल रोजगार में भी इसका योगदान तकरीबन नौ फीसद है।

इन आंकड़ों को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि आज भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए पर्यटन उद्योग का अपना एक अलग और अत्यंत लाभकारी महत्त्व है। यहां यह भी ध्यान देने योग्य है कि पर्यटन उद्योग से होने वाले इस लाभ का एक बड़ा हिस्सा हमें विदेशी पर्यटकों से प्राप्त होता है। दर्शनीय पर्यटन स्थलों के कारण भारत की तरफ विदेशी सैलानियों का खासा रुझान रहता है, जिससे कि भारत में विदेशी मुद्रा की बड़ी आवक होती है।

इसी संदर्भ में एक रिपोर्ट पर गौर करें तो भारत में प्रतिवर्ष लगभग पचास लाख विदेशी पर्यटक आते हैं, जिनसे कि भारतीय पर्यटन उद्योग को तकरीबन ग्यारह अरब डॉलर की कमाई होती है। ऐसे में अगर विदेशी पर्यटकों की आवक में कमी होने लगे तो यह निश्चय ही बड़ी चिंता का विषय है। इसी संदर्भ में एक आंकड़े पर गौर करें। सन 2011 में भारत में विदेशी पर्यटकों के आने की दर में नौ फीसद की बढ़ोतरी हुई थी जो कि 2012 में छह फीसद और 2013 में तीन फीसद पर पहुंच गई। हालांकि 2014 में इसमें कुछ बढ़ोतरी हुई, लेकिन वर्ष 2015 में पुन: उनके आवागमन में कमी ही पाई गई। हालाकि इस साल की वार्षिक राष्ट्रीय रिपोर्ट तो अभी नहीं आई है, लेकिन जनवरी से जून तक के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी पर्यटकों की आवक में लगभग सात प्रतिशत की वृद्धि अवश्य देखी गई है।

अलबत्ता इन आंकड़ों से इतर विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने वाले कई राज्यों में उनकी आवक में कमी ही पाई जा रही है। जैसे कि विदेशी सैलानियों को लुभाने वाले हिमाचल के शिमला-मनाली से लेकर आगरा के ताजमहल तक सभी पर्यटन स्थलों पर इस वर्ष अब तक विदेशी पर्यटकों की आवक घटने की ही बात सामने आई है। दरअसल, बात यह है कि साल-दर-साल भारत में विदेशी पर्यटकों की आवक में वृद्धि की दर कम होती जा रही है। ऐसे में यह अत्यंत शोचनीय है कि अगर इसी तरह से भारत के प्रति विदेशी पर्यटकों का लगातार मोहभंग होता रहा, तो आने वाले समय में यह रुझान भारतीय पर्यटन उद्योग के लिए बड़ा संकट खड़ा कर सकता है।

इस उद्योग से रोजगार पाने वाले बहुतायत लोगों द्वारा इस विषय में अभी से चिंता जताई जाने लगी है कि अगर विदेशी पर्यटकों की आवक इसी तरह से घटती रही तो जल्दी ही उन्हें अपनी रोजी-रोटी के लिए किसी अन्य साधन के बारे में सोचना पड़ेगा। वैसे, भारत से विदेशी पर्यटकों का यह दुराव अनायास नहीं हो रहा है। बल्कि पिछले कुछ समय से जिस तरह से यहां विदेशी पर्यटकों, खासकर महिला पर्यटकों के साथ लूटपाट व दुराचार की घटनाएं बढ़ी हैं, मुख्यत: उसी के कारण भारत में विदेशी पर्यटकों के आने की रफ्तार साल-दर-साल घटती जा रही है। हमें समझना होगा कि विदेशी सैलानियों का आना न केवल हमारे सांस्कृतिक प्रसार के लिए आवश्यक है, बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी बहुत जरूरी है ।

बीते वर्षों में देश के विभिन्न शहरों में ट्रैवल आॅपरेटरों से बातचीत के जरिए किए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई थी कि अधिकाधिक विदेशी सैलानियों के भारत आने से हिचकने के पीछे मुख्य कारण सुरक्षा के प्रति अनिश्चिंतता है। इस संबंध में बहत्तर फीसद ट्रैवल आॅपरेटरों का कहना है कि हर विदेशी पर्यटक के भारत आने की पहली शर्त पुख्ता सुरक्षा होती है और हालिया हालात में भारत में इस चीज का खासा अभाव दिख रहा है। कुछ मामलों पर गौर करें तो अभी विगत अप्रैल में राजस्थान के अजमेर घूमने आए एक स्पेनिश जोड़े पर कुछ बदमाशों ने हमला कर उन्हें घायल कर दिया और महिला के साथ बलात्कार की भी कोशिश की। वह विदेशी जोड़ा उन लोगों से बात करके कुछ स्थानीय जानकारी प्राप्त करना चाहता था, तो उसे ऐसे सलूक का शिकार होना पड़ा।

एक वारदात में अपने माता-पिता के साथ देहरादून घूमने आई बारह साल की इजरायली लड़की के साथ एक फोटोग्राफर ने बदसलूकी करने की कोशिश की। ऐसे ही, पिछले साल जून में दिल्ली के द्वारका में एक तीस वर्षीय विदेशी महिला का सामूहिक बलात्कार कर उसके साथ लूटपाट भी की गई। वर्ष 2014 में दिल्ली में एक इक्यावन वर्षीय डेनिश महिला के साथ भी लूटपाट व बलात्कार की घटना हुई। इसके अलावा, 2013 में मध्यप्रदेश के दतिया में विदेशी महिला के साथ हुए सामूहिक बलात्कार की वारदात ने तो देश को हतप्रभ ही कर दिया था। कुल मिलाकर तथ्य यह है कि पिछले तीन-चार साल में विदेशी पर्यटकों के साथ होने वाले अपराधों में बेतहाशा इजाफा देखने को मिला है।

जाहिर है, ऐसी घटनाओं के चलते विदेशी पर्यटकों के मन में भारत को लेकर असुरक्षा का भाव घर करता जा रहा है, जिस कारण वे भारत भ्रमण से लगातार मुंह फेरते जा रहे हैं। अब कोई विदेशी पर्यटक भारत में आने पर यहां किसी व्यक्ति से अगर कोई जानकारी लेना चाहे तो भी उपर्युक्त आपराधिक घटनाओं की जानकारी रहते हुए वह किसी से कुछ पूछने की हिम्मत नहीं कर सकेगा। ये अपराध करने वाले चंद लोग हैं, लेकिन उनके कारण अनगिनत अच्छे भारतीय लोगों से भी विदेशियों का स्वाभाविक रूप से दुराव होता जा रहा है।

यों भारत पर्यटन के वैश्विक मानचित्र में सबसे आकर्षक जगहों में से एक है। दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक भारत में हर तरह की विविधता है, भौगोलिक और मौसम की विविधता से लेकर खान-पान, रीति-रिवाज, पर्व-त्योहार, लोक उत्सव, प्राकृतिक मनोरम दृश्यों से लेकर स्मारकों तथा ऐतिहासिक धरोहरों तक। लेकिन किसी देश को आकर्षक पर्यटन गंतव्य बनाने के पीछे उसकी मौजूदा छवि का भी काफी योगदान होता है। अगर सैलानी खुद को सुरक्षित ही न समझें, तो सारे आकर्षण बेकार ही सिद्ध होते हैं।

दरअसल, भारत के अधिकतर पर्यटन स्थलों जैसे दिल्ली, आगरा, मुंबई, मध्यप्रदेश आदि में आपराधिक घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है। राजधानी दिल्ली तो खैर दिन-ब- दिन ‘रेप कैपिटल’ ही बनती जा रही है। विदेशी पर्यटकों के मन में भारत को लेकर बढ़ रहे असुरक्षा भाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे अब भारत आते ही अपनी सुरक्षा के लिए मिर्च पाउडर रखने से लेकर बॉडीगार्ड रखने तक खुद ही तमाम तरह के इंतजाम करने लगे हैं। इन सब बातों से एक ही चीज साफ होती है कि हमारी सुरक्षा व्यवस्था व पुलिस के प्रति विदेशी पर्यटकों के मन में पूरी तरह से अविश्वास का भाव आ चुका है, जो कि न सिर्फ हमारे पर्यटन उद्योग के लिए नुकसानदेह है, बल्कि दुनिया में भारत की छवि भी खराब कर रहा है।

ऐसे में, हमारे पर्यटन मंत्रालय समेत राज्य सरकारों का यह दायित्व बनता है कि वे इन बातों पर गौर करते हुए विदेशी सैलानियों की सुरक्षा के लिए कुछ ठोस नीति बनाएं, जिससे कि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर्यटन उद्योग को लेकर अपने गंभीर रुख के लिए जाने जाते हैं। उन्हें इस विषय में कुछ ठोस कदम अविलंब उठाना चाहिए जिससे कि विदेशी सैलानियों के मन में भारत में सुरक्षा को लेकर उपजी शंका खत्म हो और वे फिर उत्साह के साथ भारत भ्रमण पर आएं। साथ ही, देश के नागरिकों का भी यह कर्तव्य है कि वे हमारे विदेशी मेहमानों के प्रति सच्चा आदर भाव रखें और यथासंभव उनकी सहायता व रक्षा करने की कोशिश करें। क्योंकि इन विदेशी सैलानियों का सुरक्षित आवागमन न सिर्फ भारतीय पर्यटन उद्योग और भारतीय अर्थव्यवस्था की उन्नति के लिए आवश्यक है बल्कि दुनिया में भारत की अतिथि देवो भव: की संस्कृति के संरक्षण और प्रसार के लिए भी इसका अपना महत्त्व है।