मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बृहस्पतिवार को विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाये जाने को लेकर दुख व्यक्त किया है। उन्होनें कहा कि यह मतदान की सर्वाधिक विश्वसनीय पद्धति है। यह मशीन गलत रखरखाव की शिकार तो हो सकती है लेकिन इसमें छेड़छाड़ मुमकिन ही नहीं है। दरअसल नवनियुक्त सीईसी ने पीटीआई भाषा से एक बातचीत में ईवीएम पर राजनीतिक दलों के आरोपों के दायरे में चुनाव आयोग के भी आने के मुद्दे पर अपने विचार रखे। इस दौरान उन्होंने कहा कि चुनाव में मतदाताओं के बाद राजनीतिक दल ही मुख्य पक्षकार होते हैं। उन्हें अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है। लेकिन इस बात से मुझे दुःख होता है कि हमने ईवीएम को ‘फुटबॉल’ बना दिया है।

अरोड़ा ने कहा कि किसी दल विशेष के पक्ष में चुनाव परिणाम नहीं आने पर इसका ठीकरा ईवीएम के सर फोड़ दिया जाता है। अरोड़ा ने ईवीएम के पक्ष में दलील देते हुए कहा कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव का परिणाम, इसके बाद हुये दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम से बिल्कुल विपरीत था। इसके बावजूद हिमाचल प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, त्रिपुरा और अब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव तथा तमाम उपचुनावों के परिणाम बिल्कुल भिन्न रहे हैं।

अरोड़ा ने राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव परिणाम की व्याख्या अपनी सुविधानुसार करने का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ईवीएम महज एक मशीन है जो कि आंकड़े दर्ज कर उनकी गिनती करती है। मशीन में खास प्रोगामिंग कर विशेष परिणाम हासिल करने की संभावना को मैं पूरी तरह से नकार सकता हूं। पांच राज्यों के चुनावों में ईवीएम की मतदान केन्द्रों से इतर अन्य स्थानों पर बरामदगी के सवाल पर अरोड़ा ने कहा कि मशीन में छेड़छाड़ करना और इसका गलत रखरखाव दो अलग मुद्दे हैं। जो शिकायतें इन चुनावों के दौरान मिलीं हैं वे कर्मचारियों द्वारा गलत रखरखाव की श्रेणी में आती हैं। इस तरह के चार-पांच मामले सामने आये हैं। हालांकि यह संख्या नगण्य है लेकिन फिर भी आयोग की कोशिश इस संख्या को शून्य पर लाने की है राजनीतिक दलों की मतपत्र की तरफ वापस लौटने की मांग के सवाल पर उन्होंने कहा कि मतपत्र की ओर वापस लौटने का सवाल ही नहीं है। यह चुनाव आयोग का स्पष्ट रुख है।