उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के मामले को लेकर महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगी दलों, शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने 11 अक्टूबर को राज्यभर में बंद का ऐलान किया था। एक निजी न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान उद्धव ठाकरे सरकार में मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक ऐसे बिफरे कि माइक उतारकर चले गए।

बंद को लेकर नवाब मलिक ने कहा कि, किसानों की निर्मम हत्या करने की सोच के खिलाफ हम खड़े हैं। ऐसे में एंकर ने कहा कि, आप जबरदस्ती दुकानें तो बंद नहीं करवा सकते? मलिक ने कहा कि, आपको लग रहा है कि ये जबरदस्ती है, आप चुन-चुनकर रिकॉर्डिंग दिखाइए। हमें कोई आपत्ति नहीं।

वहीं एंकर ने सवाल किया कि आपको महाराष्ट्र बंद से क्या हासिल हुआ? जवाब में मलिक ने कहा कि, जिन किसानों की निर्मम हत्या की गई, महाराष्ट्र की जनता, उन लोगों के साथ खड़ी है। इस बंद से जुल्मी लोगों के साथ लड़ने का संदेश दिया गया है, शायद आपको समझ में नहीं आया है।

एंकर ने सवाल किया कि, कई कांग्रेस नेताओं ने मौन व्रत रखा, तो क्या ये काम मौन व्रत रखकर नहीं हो सकता था, देश की अर्थव्यवस्था को बिना नुकसान पहुंचाए? जो लोग दिहाड़ी पर काम करते हैं, रोज कमाकर खाते हैं, उन्हें बिना नुकसान पहुंचाए ये काम नहीं हो सकता था?

जवाब में मंत्री ने कहा कि, तीन महीने मोदी जी ने बंद रखा था, तब आपने दिहाड़ी का सवाल नहीं पूछा? एंकर ने कहा कि मोदी जी ने बंद रखा इसलिए आप भी बंद रख रहे हैं? वो तो जान बचाने के लिए था, आज तो जान लेने के लिए बंद है। इसपर नवाब मलिक ने कहा कि आपका ओछा तर्क है। आपको जैसी भी खबरें दिखानी हैं, दिखाइए। हमें कोई भी आपत्ति नहीं है।

वहीं राजस्थान में प्रदर्शन करने के सवाल पर नवाब मलिक ने कहा कि, हमारी पार्टी वहां नहीं, तो एंकर ने कहा कि, आपकी पार्टी तो यूपी में भी नहीं है। इस सवाल पर नवाब मलिक बिफर गए। उन्होंने कहा कि, प्रदर्शन करने को लेकर पार्टी तय करेगी…और हम कहां हैं, ये सवाल आप न पूछो। इतना कहकर नवाब मलिक ने अपना माइक निकालकर इंटरव्यू छोड़ दिया।

वहीं सोशल मीडिया पर इसको लेकर लोग कई अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। दिनेश (@Dadhich7737) नाम के एक यूजर ने लिखा कि, “सत्य कड़वा होता है।” एक और यूजर प्रवीण (@parveen_girotra) ने लिखा कि, “सच हमेशा कड़वा होता है। सच का सामना करना बहुत मुश्किल होता है। चलो लखीमपुर के दुर्भाग्य पूर्ण घटनाक्रम के बाद विपक्ष की गंदी राजनीतिक सोच आम जनता के सामने आई।”

बता दें कि महाराष्ट्र बंद का असर मुंबई और आसपास के इलाकों पर देखने को मिला। बेस्ट की बसें सुबह से नहीं चलीं, जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।