योगेश कुमार गोयल

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हाल में बिजली चालित वाहनों में आग की घटनाएं जिस तेजी से बढ़ी रही हैं, उससे सुरक्षा संबंधी सवाल खड़ा हो गया है। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि भले ही पर्यावरण के लिहाज से बिजली चालित वाहन आज की जरूरत हैं, लेकिन क्या बिना उचित परीक्षण अथवा जांच-परख के ही इन्हें केवल वाहवाही लूटने के लिए सड़कों पर उतार दिया गया?

ऊर्जा संकट के मद्देनजर और प्रदूषण कम करने के लिए सरकार देश में विद्युत चालित वाहनों (ई-वाहन) को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए खरीद में रियायत और करों में छूट जैसे कदम उठाए गए हैं। इससे लोगों में इन वाहनों के प्रति उत्साह बढ़ा है। इस समय करीब ग्यारह लाख ई-वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। फेडरेशन आफ आटोमोबाइल डीलर एसोसिएशन के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में ही चार लाख से ज्यादा ई-वाहनों की बिक्री हुई।

खासतौर से बैटरी से चलने वाले स्कूटरों की मांग तो काफी तेजी से बढ़ रही है। इस साल केवल मार्च महीने में ही करीब चालीस हजार ई-स्कूटरों की बिक्री हुई थी। अप्रैल में यह आंकड़ा और बढ़ गया। इसका एक कारण यह भी है कि पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों के कारण भी लोग ई-वाहनों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। लेकिन इसके साथ ही एक बड़ा खतरा भी डराने लगा है।

हाल में बिजली चालित वाहनों में आग की घटनाएं जिस तेजी से बढ़ी रही हैं, उससे सुरक्षा संबंधी सवाल खड़ा हो गया है। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि भले ही पर्यावरण के लिहाज से बिजली चालित वाहन आज की जरूरत हैं, लेकिन क्या बिना उचित परीक्षण अथवा जांच-परख के ही इन्हें केवल वाहवाही लूटने के लिए सड़कों पर उतार दिया गया?

पिछले हफ्ते भोपाल में एक इंजीनियरिंग छात्र उस समय हादसे का शिकार होने से बाल-बाल बच गया जब स्कूटर चालू करते समय उसमें आग लग गई। पिछले महीने आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में घर में चार्जिंग पर लगी स्कूटर की बैटरी फटने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। हैदराबाद के पास निजामाबाद में भी स्कूटर की बैटरी में आग लगने में अस्सी साल के बुजुर्ग की मौत हो गई। हाल के महीनों में ऐसी अनगिनत घटनाएं सामने आई हैं। ई-स्कूटरों में आग लगने की बढ़ती घटनाओं से चिंतित सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 25 अप्रैल को बिजली वाहन निर्माता कंपनियों की बैठक बुलाई थी।

इस बैठक में कंपनियों को आग लगने की घटनाओं की जांच पूरी होने तक नए वाहन बाजार में नहीं उतारने की सलाह दी गई थी। हालांकि बार-बार हो रहे ऐसे हादसों के बाद अब कंपनियां खुद इस बात की जांच करवा रही हैं कि बैटरियों के साथ ऐसी दिक्कतें क्यों आ रही हैं। सरकार के सख्त रुख के बाद कई कंपनियों ने अपने स्कूटर वापस ले लिए।

ऐसे हादसों को लेकर सरकार का सख्त रुख जायज है। यह मुद्दा गंभीर इसलिए भी है कि सीधे तौर पर लोगों की सुरक्षा से जुड़ा है। इसलिए सरकार सक्रिय हुई और बिजली वाहन निर्माता कंपनियों को कसा। सरकार ने कहा भी है कि ऐसे मामलों की जांच के लिए उसने जो विशेषज्ञों का पैनल बनाया है, उसकी रिपोर्ट आने के बाद दोषी कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने इस बात का भी संकेत दिया है कि वह जल्द ही बिजली चालित वाहनों की गुणवत्ता को लेकर दिशा-निर्देश जारी करेगी।

उल्लेखनीय है कि बिजली वाहनों में आग की घटनाएं सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने सेंटर फार फायर एक्सप्लोसिव एंड एनवायरनमेंट सेफ्टी (सीएफईईएस), डीआरडीओ और आइआइएससी (बंगलुरु) के विशेषज्ञों को ऐसे मामलों की जांच करने का आदेश दिया गया था। समिति की प्रारंभिक जांच में विशेषज्ञों ने देश में लगभग सभी दोपहिया बिजली वाहनों में आग की घटनाओं में बैटरी सेल या डिजाइन में खामियां होने की ओर इशारा किया है। विशेषज्ञ अब बैटरी संबंधी समस्याओं पर वाहन निर्माताओं के साथ मिल कर काम करेंगे।

दरअसल, बिजली वाहनों में लीथियम आयन बैटरी लगाई जाती है, जिनका इस्तेमाल मोबाइल, लैपटाप आदि में भी होता है। इन बैटरियों की खूबी यही है कि ये न केवल बहुत हल्की होती हैं, बल्कि इनमें अधिक ऊर्जा भी एकत्रित हो सकती है। जहां एसिड वाली लेड बैटरी केवल पच्चीस वाट प्रति घंटा प्रति किलो ऊर्जा जमा कर सकती है, वहीं निकेल हाइड्राइड बैटरी प्रति घंटा सौ वाट ऊर्जा संग्रह कर सकती है, जबकि लीथियम आयन बैटरी डेढ़ सौ वाट तक ऊर्जा संग्रहण की क्षमता से युक्त होती है। यह बैटरी भी लंबे समय तक चलती है, इसीलिए इसका चलन भी ज्यादा हो रहा है, लेकिन साथ ही इसमें जोखिम भी बहुत ज्यादा है।

लिथियम आयन के अलावा दुनिया में कुछ जगहों पर लिथियम फास्फेट बैटरी का भी इस्तेमाल किया जाता है। यह ज्यादा गर्मी को भी सहन कर लेती है। जबकि लिथियम आयन बैटरी बहुत ज्यादा गर्मी सहन करने में सक्षम नहीं होती। इस कारण इनमें आग लगने की समस्याएं सामने आ रही हैं। हालांकि लिथियम फास्फेट बैटरी लिथियम आयन की तुलना में सस्ती होती है। लिथियम आयन बैटरी कम तापमान में तो बेहतर काम करती हैं, लेकिन उच्च तापमान वाले क्षेत्रों में इनका तापमान बढ़ जाने पर इनके फटने का खतरा बढ़ जाता है।

ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या बिजली चालित स्कूटर में बैटरी पैक भारत के वातावरण के अनुरूप इस्तेमाल नहीं किए जा रहे? दरअसल, कई निमार्ताओं ने बिजली वाहनों के लिए अमेरिका जैसे देशों की जलवायु को ध्यान में रख कर बनाई गई बैटरियां आयात की हैं, लेकिन भारतीय परिस्थितियों के लिए उनका परीक्षण नहीं किया।

हालांकि लिथियम आयन बैटरी में कई तरह के सुरक्षा बंदोबस्त भी किए गए हैं। बैटरी पैक में हर सेल से जुड़ा हुआ एक इलैक्ट्रानिक सिस्टम (बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम) होता है, जो लगातार बैटरी के वोल्टेज और उनसे गुजरने वाले करंट पर निगरानी रखता है, जिसमें तापमान मापने के सेंसर भी लगे होते हैं। लेकिन फिर भी बड़ा सवाल यही है कि स्कूटरों की बैटरियों में आग क्यों लग रही है? आटो विशेषज्ञों के मुताबिक लिथियम आयन बैटरी से ज्यादा गर्मी निकलती है।

जब बैटरी गर्म होती है, तब इनमें ऊष्मा तेजी से बढ़ने लगती है, इसलिए इन्हें ठंडा रखने के लिए हीट सिंक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। लेकिन चूंकि इन बैटरियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है, इसलिए कीमत और वजन कम रखने के लिए बैटरी निर्माता इनमें हीट सिंक का इस्तेमाल नहीं करते। हालांकि कारों में ज्यादा किलोवाट की बैटरी के साथ हीट सिंक और कूलेंट का भी इस्तेमाल होता है, जबकि स्कूटरों में बैटरी की कूलिंग पर अभी तक अच्छी तरह से काम नहीं किया गया है।

हालांकि ई-स्कूटर बेच रही कंपनियां बैटरियों में आग लगने का कोई स्पष्ट कारण नहीं बता पाई हैं। लेकिन इस संबंध में ओकिनावा ईवी का यह अवश्य कहना है कि इसका एक बड़ा कारण शार्ट सर्किट हो सकता है, जो स्कूटर की चार्जिंग में की गई लापरवाही का नतीजा भी हो सकता है। दरअसल बैटरी पैक में कई बैटरियां होती हैं, जिन्हें काफी पास-पास लगाया जाता है और ऐसे में जरा-सी चूक से एक बैटरी में भी शार्ट सर्किट हो जाता है तो बाकी बैटरियों में भी आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ई-स्कूटर में इस्तेमाल होने वाली बैटरी प्लास्टिक कैबिनेट के साथ आती है। जब बैटरी गर्म होती है तो कई बार यह प्लास्टिक कैबिनेट को भी पिघला देती है और इसमें लगे हुए सर्किट भी पिघलने लगते हैं और बैटरी आग पकड़ लेती है।

बिजली वाहन अब हमारी जरूरत बन चुके हैं। देश में इनका उपयोग निरंतर बढ़ भी रहा है। लेकिन यदि इनमें ऐसे ही हादसे होते रहे, तो लोग इन्हें खरीदने से परहेज करने लगेंगे। इससे भारत के बिजली वाहन उद्योग को झटका लग सकता है। इसलिए ई-वाहनों की पूर्ण सुरक्षा के लिए इन वाहन निर्माताओं की नैतिक जवाबदेही तय किया जाना अब बेहद जरूरी है।

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First published on: 08-05-2022 at 23:04 IST