2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की यूपी की 80 सीटों में से अधिकांश पर काबिज होने के लिए सरकार कोई कसर छोड़ना नहीं चाहती। हाल ही में हुए निकाय चुनाव में पार्टी 32 फीसद सीटों पर अपनी जमानत तक बचा पाने में नाकाम रही। इस वजह से इस दांव को आजमाया गया है।

पिछले दिनों यूपी सरकार ने बड़ा एलान किया। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 2021 तक प्रदेश में भारी वाहनों के जितने भी चालान हुए हैं, उन्हें निरस्त किया जाता है। बड़ा सवाल यह है कि आखिर सरकार के इस एलान से किसको लाभ होगा? क्या इस एलान का लाभ प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जनता को होगा? यह यक्ष प्रश्न है। इस बारे में भाजपा का कोई भी नेता मुंह खोलने को तैयार नहीं।

अब बात सस्ते गल्ले की दुकानों पर मिलने वाले मुफ्त राशन की। योगी सरकार ने सस्ते गल्ले में कार्ड धारकों को मुफ्त में तीन किलो चावल और दो किलो राशन देने की घोषणा की थी। प्रति यूनिट मिलने वाले इस राशन की भी सच्चाई सुन लें। राशन लेने वाले कार्ड धारकों को इसके लिए साठ रुपए देने पड़ते हैं। इतने के बावजूद राशन दुकानदार राशन तौलते समय एक किलो गेहूं और चावल कम दे रहा है।

पटरी पर बर्तन की दुकान लगाने वाले सुशील सोनकर कहते हैं, कई बार इसकी शिकायत करने के बाद भी न कोई सुनवाई हुई और न ही कार्रवाई। दूध या दूध से बने उत्पाद सहित 35 सामान को भी राशन की दुकान पर उपलब्ध कराने की घोषणा अब तक सरकारी गल्ले की दुकानों तक पहुंच नहीं पाई है। सुशील कहते हैं, हमने तो किसी भी राशन की दुकान में अब तक इन सामान को देखा नहीं। प्रयागराज के अलावा और कहीं इस सुविधा का लाभ जनता को मिल रहा हो तो बात दीगर है।

अब बात भाजपा संगठन की, जो उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों की जमीनी हकीकत से बखूबी वाकिफ है। लोकसभा चुनाव में भाजपा जीती हुई सीटों पर भी ध्यान केंद्रित करने जा रही है। आखिर इसकी जरूरत क्यों आ पड़ी? प्रदेश की 66 जीती हुई सीटों को 2024 के लोकसभा चुनाव में पुन: जीतने के लिए भाजपा संगठन ने हर लोकसभा सीट पर एक संयोजक मंडल बनाने की तैयारी की है। इसका काम हर सीट की बारीक समीक्षा करना भर नहीं है। वहां से किस उम्मीदवार को टिकट मिलेगा, इस बात की भी रणनीति तैयार करना है।

फिलहाल भाजपा लोकसभा चुनाव में किसी भी स्तर पर उत्तर प्रदेश रूपी अपने गढ़ को बचाने की कवायद में जुट गई है। इन तमाम खामियों के बीच बड़ा सवाल यह है कि क्या 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की 66 सीटों पर मिली जीत और 14 सीटों पर हुए नुकसान की भरपाई इस बार कर पाने में सफल हो पाएगी? इस यक्ष प्रश्न का जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है।

योगी आदित्यनाथ की सरकार, जनता को मुफ्त बांट कर खुश करने की कवायद में जुट गई है। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की यूपी की 80 सीटों में से अधिकांश पर काबिज होने के लिए सरकार कोई कसर छोड़ना नहीं चाहती। हाल ही में हुए निकाय चुनाव में पार्टी 32 फीसद सीटों पर अपनी जमानत तक बचा पाने में नाकाम रही। इस वजह से इस दांव को आजमाया गया है।