कर्नाटक का सूत्र कांग्रेस लोकसभा चुनाव से पहले तेलंगाना में बैठाने की तैयारियों में जुट गई है। दरअसल, देश के कई राज्यों में कर्नाटक के अनुभव को आजमाने की तैयारी में है कांग्रेस। कर्नाटक और तेलंगाना के जमीनी स्थिति करीब-करीब एक ही जैसी हैं और पार्टी आलाकमान को लगता है कि सही रणनीति से तेलंगाना में भी राजनीतिक समीकरण बदले जा सकते हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस आलाकमान ने तेलंगाना के नेताओं से पार्टी मुख्यालय में भी मुलाकात की है।
तेलंगाना में इस साल के अंत में चुनाव होने तय है। सूत्र बताते हैं कि जुलाई के पहले ही सप्ताह में राहुल गांधी तेलंगाना में एक बड़ी सभा को आयोजित करने जा रहे हैं। जो पार्टी का एक बड़ा कार्ड होगा। संभवत इस रैली में ही कांग्रेस पार्टी राज्य के लिए अपनी पांच गारंटी भी जारी कर देगी। राज्य के पूर्व विधायक और सांसदों ने हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात कर चुके हैं।
मामले में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा का कहना है कि कर्नाटक में कांग्रेस के अध्याय में नया पन्ना जुड़ा है। यह पार्टी ने कुशासन और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया था क्योंकि वहां की सरकार ने इस दिशा में कोई काम नहीं किया था। जबकि भाजपा लगातार धार्मिक एजंडे पर काम कर रही थी। तेलंगाना के नेताओं से हुई बैठक का लाभ भी पार्टी को आने वाले दिनों में मिलेगा।
कर्नाटक चुनाव से पहले भी राज्य में कांग्रेस की उपस्थिति को लेकर समीकरण लगभग ऐसे ही थे। कांग्रेस ने राज्य में भ्रष्टाचार को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था। इस मुद्दे को भुनाने में कांग्रेस कामयाब रही थी जबकि चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच ही अंदरूनी कलह चल रही थी। पार्टी ने सबसे पहले इसको समाप्त किया और दोनों ही प्रमुख नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के सामने बैठाकर विवादों को सुलझाया। इसका बेहतर परिणाम पार्टी ने कर्नाटक के चुनाव में प्राप्त किया।
इसके अतिरिक्त इस चुनाव में कांग्रेस की सबसे बड़ी रणनीति समय से पहले टिकटों की घोषणा करना था। सामान्य प्रक्रिया में यह देखने में आता है कि पार्टी चुनावी राज्यों में अपने पार्टी के चेहरों को सबसे अंत में सामने लेकर आती है। इसका लाभ भी पार्टी को हुआ है। बताया जा रहा है कि इस वजह से ऐसे टिकट जिनको लेकर पार्टी के अंदर विवाद था, उसे आपसी रजामंदी से सुलझाया गया था। इस वजह से पार्टी को छह माह पहले ही जीत के आंकड़े के संकेत आने शुरू हो गए थे।आम जनता के लिए पार्टी का घोषणा पत्र को भी जीत का बड़ा आधार माना गया है क्योंकि इसमें गरीब परिवारों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को शामिल किया गया था।
इसमें गृह ज्योति योजना के तहत दो सौ यूनिट तक मुफ्त बिजली, अन्न भाग्य योजना, बीपीएल परिवारों को दस किलो तक अनाज और गुरु लक्ष्मी योजना के तहत घर की प्रत्येक मुखिया महिला को दो हजार रुपए देने जैसी योजनाएं शामिल थी। इतना ही नहीं महिलाओं के लिए राज्य की बस सेवा में मुफ्त सफर का भी प्रावधान किया गया था। इन योजनाओं में ही युवाओं को जोड़ने के लिए ही बेरोजगार स्रातकों को दो साल के लिए तीन हजार रुपए प्रतिमाह और डिप्लोमा धारकों को 1500 रुपए प्रतिमाह देने की घोषणा को शामिल किया गया था।