पश्चिम बंगाल में पिछले 24 घंटे से सियासी घमासान जारी है। ये पूरा मामला कोलकाता पुलिस के कमिश्नर राजीव कुमार से चिट फंड घोटाले को लेकर पूछताछ से शुरु हुआ, जो आज सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। सीबीआई ने शारदा चिटफंड घोटाले में कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ को लेकर आज सोमवार (4 फरवरी) को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सीबीआई और केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से इस मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने नकार दिया और सुनवाई कल के लिए टाल दी। जस्टिस गोगोई ने सीबीआई से कहा, “आखिर इस सुनवाई की इतनी जल्दी क्या है? पहले सीबीआई सबूत सौंपे। अब इस केस की सुनवाई कल (मंगलवार) को होगी।”
चीफ जस्टिस ने कहा, ‘आपने याचिका कब दायर की? आज सुबह और हम इसे पढ़ चुके हैं। दरअसल अदालत को कुछ मिनटों की देरी भी इसलिए हुई, क्योंकि हम आपकी ही याचिका पढ़ रहे थे। आप जो दावे कर रहे हैं, यहां उसके कोई सबूत नहीं हैं।’ सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, “सीबीआई की टीम को गिरफ्तार किया गया और हिरासत में रखा गया। कोलकाता के पुलिस कमिश्नर को तुरंत सरेंडर करना चाहिए।”
मेहता ने दावा किया कि कोलकाता पुलिस शारदा चिट फंड मामले से जुड़े सबूतों को नष्ट कर सकती है। इसके जवाब में सीजेआई गोगोई ने कहा, “अगर सीबीआई को यह लगता है कि पुलिस सबूत नष्ट कर सकती है तो वह इसे सुप्रीम कोर्ट के सामने रखे।” सीजेआई ने आगे कहा, “अगर कोलकाता पुलिस ने सबूतों को मिटाने की कोशिश भी की है, तो कोर्ट में इसके सबूत लेकर आएं। हम उनके खिलाफ इतनी सख्त कार्रवाई करेंगे कि उनको ऐसा करने पर पछताना पड़ेगा।”
गौरतलब है कि सीबीआई की टीम कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ के लिए कोलकाता पहुंची थी। लेकिन पश्चिम बंगाल पुलिस के जवानों ने सीबीआई टीम को हिरासत में ले लिया। यहां तक कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के बचाव में उतर आईं। उन्होंने सीबीआई की कार्रवाई के विरोध में धरने पर बैठ गई हैं। इस पूरे घटनाक्रम के बाद सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

