सीनियर आईएएस अधिकारी और वर्तमान में यूपीएसआरटीसी के अध्यक्ष इफ्तखारुद्दीन के धार्मिक कट्टरता वाले वीडियो पर यूपी सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं। इस आदेश को लेकर अब धर्म की राजनीति भी शुरू हो गई है। बता दें कि AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया है कि आईएएस अधिकारी को धर्म के आधार पर परेशान किया जा रहा है।
एसआईटी को 7 दिन में देनी होगी रिपोर्ट: दरअसल इफ्तखारुद्दीन के सरकारी आवास का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें एक इस्लामिक वक्ता इस्लाम धर्म अपनाने के फायदे बता रहा था। वहीं IAS अधिकारी भी इस वीडियो में इस्लामिक धर्मगुरु के सामने जमीन पर बैठे नजर आ रहे हैं। इस वीडियो के वायरल होने पर शासन ने मंगलवार को एक एसआईटी गठित कर जांच के आदेश दिए हैं। एसआईटी के अध्यक्ष डीजी सीबीसीआईडी जीएल मीणा होंगे एवं सदस्य एडीजी ज़ोन भानु भास्कर होंगे। वहीं इस कमेटी को 7 दिन में अंदर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपनी होगी।
ओवैसी ने क्या कहा: जांच के आदेश को लेकर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने एक ट्वीट में आरोप लगाते हुए कहा कि, “सीनियर IAS इफ्तिखारुद्दीन के 6 साल पुराने वीडियो को लेकर यूपी सरकार ने जांच के लिए SIT का गठन किया। यह वीडियो तब का है जब योगी सरकार सत्ता में भी नहीं थी। यह धर्म के आधार पर उत्पीड़न का मामला है।”
दूसरे ट्वीट में ओवैसी ने कहा कि अगर पैमाना यह है कि धार्मिक गतिविधि से किसी भी अधिकारी को नहीं जोड़ा जाना चाहिए तो कार्यालयों में सभी धार्मिक प्रतीकों/तस्वीरों के प्रयोग पर रोक लगा दीजिए। यदि आस्था से जुड़ी चर्चा घर में करना गलत है तो सार्वजनिक धार्मिक उत्सव में भाग लेने वाले किसी भी अधिकारी को दंडित किया जाए।
बता दें कि वायरल वीडियो में इस्लामिक वक्ता इस्लाम धर्म अपनाने के फायदे बताते हुए कह रहा है कि, अल्लाह ने हमें उत्तर प्रदेश के जरिए ऐसा सेंटर दिया है, जहां से हम पूरी दुनिया में काम कर सकते हैं।
आरोप ये भी है कि इस वीडियो में IAS इफ्तिखारुद्दीन भी वहां बैठे लोगों को इस्लाम की बातें बता रहे हैं। गौरतलब है कि 1985 बैच के आईएएस अधिकारी इफ्तखारुद्दीन की पोस्टिंग इन दिनों लखनऊ में हैं।