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भारतीय टीम को एक अगस्त से इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज खेलनी है। इस सीरीज से पहले इंग्लिश क्रिकेट काउंटी एसेक्स के खिलाफ खेला गया मैच ड्रॉ रहा। इस सीरीज से पहले भारतीय टीम ने अभ्यास मैच के रूप में अपनी अंतिम तैयारी पूरी कर ली है। भारतीय टीम के साथ-साथ कप्तान विराट कोहली के लिए भी यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है। इससे पहले साल 2014 के इंग्लैंड दौरे पर विराट कोहली पूरी तरह से फ्लॉप साबित रहे थे। विराट कोहली के लिए इंग्लैंड के पिचों पर खुद को साबित करने की भी बड़ी चुनौती होगी। आइए जानते हैं उन पांच भारतीय बल्लेबाजों के बारे में जिन्होंने इंग्लैंड में जाकर अपनी एक अलग छाप छोड़ने में कामयाबी हासिल की है। (फोटो सोर्स- एपी)
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सुनील गावस्कर (द ओवल 1979) : भारतीय पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने द ओवल के मैदान पर साल 1979 में एक यादगार पारी खेलकर मैच ड्रॉ कराने का काम किया था। 438 रनों का टारगेट का पीछा करने उतरी भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर और चेतन चौहान ने टीम को एक ठोस शुरुआत दिलाई। दोनों ने पहले विकेट के लिए 231 रन जोड़े। चौहान के आउट होने के बाद गावस्कर ने दिलीप वेंगसरकर के साथ 153 रनों की साझेदारी की। इस दौरान गावस्कर ने अपना दोहरा शतक भी पूरा किया। ओवल में अपने 20 वें टेस्ट में गावस्कर ने मेजबान इंग्लैंड के खिलाफ 13 और 221 रन की पारी खेली थी।
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दिलीप वेंगसरकर (हेडिंगली- 1986) : टीम इंडिया का पूर्व कप्तान दिलीप वेंगसरकर का रिकॉर्ड इंग्लैंड के खिलाफ शानदार रहा है। वेंगसरकर ने 116 टेस्ट और 129 वनडे मैचों में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया है। इंग्लैंड के खिलाफ 23 पारियों में वेंगसरकर के बल्ले से शानदार 960 रन आए। साल 1986 में नाबाद 126 रनों की पारी खेलकर वेंगसकर ने टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। लॉर्ड्स मैदान पर चार टेस्ट खेलते हुए उन्होंने 72.57 के औसत से 508 रन बनाए हैं।
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सचिन तेंदुलकर (टेलफोर्ड-1990) : 1990 के दशक में सचिन तेंदुलकर का विकेट भारतीय टीम के लिए काफी अहम माना जाता था। साल 1990 में महज 17 साल की उम्र में सचिन ने अपनी बल्लेबाजी से अकेले दम पर मैच ड्रॉ कराने का काम किया था। सचिन उस दौरान शानदार फॉर्म से गुजर रहे थे, इंग्लैंड के खिलाफ जीत के लिए 408 रनों की जरूरत थी और सचिन धीमी गति से बल्लेबाजी करते हुए यह मैच ड्रॉ करा दिया। इस दौरान सचिन ने 119 रनों की पारी खेली, जिसके लिए उन्हें ब्वॉय ऑफ द मैच के पुरस्कार से नवाजा भी गया।
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सौरव गांगुली (लॉर्ड्स-1996) : शुरुआत से ही भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का लॉर्डस से गहरा नाता रहा है। साल 1996 में खेले गए टेस्ट सीरीज के दूसरे मैच में अपना डेब्यू करने वाले गांगुली ने पहले ही मैच में इतिहास रच दिया। इंग्लैंड की पहली पारी 344 के जवाब में भारतीय टीम ने अपने विकेट जल्दी गंवा दिए। ऐसे में गांगुली और द्रविड़ ने मिलकर पारी को संभाला और सौरव ने टेस्ट के डेब्यू मैच में शतक जड़ एक नया रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। इस मैच में 20 चौकों की मदद से गांगुली ने 131 रन बनाए। (एक्सप्रेस आर्काइव)
राहुल द्रविड़ (हेडिंगली- 2002) : साल 2002 के टेस्ट सीरीज को राहुल द्रविड़ के लिए याद किया जाता है। द्रविड़ ने इस सीरीज के चार मैचों में तीन शतक जड़ा और भारतीय फैन्स के सामने नए हीरो बनकर ऊभरें। हेडिंगली में खेले गए तीसरे मैच में द्रविड़ द्वारा बनाया गया 148 रन काफी अहम था। हेडिंगली की विकेट बल्लेबाजी के लिए अनुकूल नहीं थी और ऐसे में सभी बल्लेबाज आउट हो रहे थे लेकिन द्रविड़ 429 मिनट तक क्रिज पर जमे रहे। (File Photo)
