-
हिंदू धर्म में हवन का काफी विशेष महत्व है। किसी भी धार्मिक कार्य, गृह प्रवेश से लेकर अन्य शुभ काम के शुरुआत से पहले लोग हवन कराते हैं। (Photo: Unsplash) रुद्राक्ष धारण करने के बाद किन-किन नियमों का करना होता है पालन
-
धार्मिक मान्यताओं के हवन करवाने से उस कार्य में व्यक्ति को देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि की बढ़ोतरी होती है। (Photo: Indian Express)
-
हवन में आहुति देते वक्त मंत्र के बाद स्वाहा जरूर बोला जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि ऐसा क्यों किया जाता है और इसका क्या महत्व है। आइए जानते हैं: (Photo: Unsplash)
-
स्वाहा कार अर्थ
आगे बढ़ने से पहले स्वाहा का अर्थ जान लेते हैं। ये एक संस्कृत का शब्द है जिसका मतलब है समर्पण करना, पूरी श्रद्धा से अर्पित करना या फिर ईश्वर को समर्पित करना। (Photo: Unsplash) प्रेमानंद महाराज: मंदिर जाना, सत्संग सुनना या व्रत रखना? किससे जल्दी खुश होते हैं भगवान -
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्वाहा शब्द के उच्चारण से अग्नि देवता के माध्यम से हमारी प्रार्थनाएं, इच्छाएं और आहुतियां देवताओं तक पहुंचती हैं। (Photo: Pexels)
-
यह भी है मान्यता
स्वाहा को लेकर एक मान्यता यह भी है कि, स्वाहा प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं जिनकी शादी अग्नि देव से हुई थी। ऐसे में जब भी कोई चीज अग्नि में समर्पित की जाती है तो उनकी पत्नी को भी साथ में याद किया जाता है जिसके बाद ही अग्निदेव उसे स्वीकार करते हैं। (Photo: Unsplash) -
दूसरी मान्यता
एक अन्य कथा है कि एक बार देवताओं के पास अकाल पड़ गया और खाने-पीने की चीजों की कमी पड़ने लगी। ऐसे में ब्रह्मा जी पृथ्वी लोक से ब्रह्मणों द्वारा खाद्य-समाग्री देवताओं तक पहुंचाने का उपाय निकाला जिसके लिए उन्होंने अग्निदेव को चुना। ऐसा इसलिए क्योंकि अग्नि में जाने के बाद कोई भी चीज पवित्र हो जाती है। (Photo: Indian Express) सावन में शिव जी और हनुमान जी की एकसाथ पूजा का महत्व, किन ग्रह दोषों का होता है नाश -
लेकिन उस दौरान समस्या यह थी कि अग्निदेव के पास भस्म करने की क्षमता नहीं थी। ऐसे में देवताओं ने स्वाहा की उत्पत्ति की। स्वाहा का काम था कि जब भी कोई चीज अग्निदेव को समर्पित किया जाएगा तो उसे वो भस्म कर देवताओं तक पहुंचा देंगी। तभी से स्वाहा हमेशा अग्निदेव के साथ रहती हैं। (Photo: Pexels)
-
तीसरी कथा
स्वाहा को लेकर एक और कथा है यह है कि, स्वाहा का जन्म प्रकृति की एक कला के रूप में हुआ था जिसे भगवान कृष्ण ने वरदान दिया था कि उनके नाम से ही देवता हविष्य यानी आहूति देने की सामग्री को ग्रहण करेंगे। (Photo: Indian Express) -
क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र?
ज्योतिश शास्त्र के अनुसार जब तक हवन का ग्रहण देवता नहीं कर लेते हैं तब तक कोई भी यज्ञ पूरा नहीं होता है। इसे देवता तभी ग्रहण करते हैं जब अग्रनि में आहुति डालते समय स्वाहा बोला जाता है। (Photo: Pexels) -
मान्यताएं कितनी भी हों लेकिन सबका अर्थ एक ही है कि हवन के समय स्वाहा बोलने के बाद ही देवता आहूति देने की सामग्री को ग्रहण करते हैं। (Photo: Pexels) शंख सेहत के लिए कितना फायदेमंद है, क्या कहता है विज्ञान? जानें आध्यात्मिक लाभ