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छठ पर्व की शुरुआत हो चुकी है और आज इस त्योहार का तीसरा दिन है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है। इस दौरान महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं। छठ पर्व का व्रत काफी कठिन माना गया है। इस पर्व में सूर्य और छठी मईया की उपासना का विशेष महत्व है। (Indian Express Photos)
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इस पर्व के तीसरे दिन कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि , व्रत में व्रती कमर तक पानी में क्यों खड़े होकर अर्घ्य देते हैं। आइए जानते हैं क्यों: (Indian Express Photos)
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छठ पर्व के दौरान सूर्य देव को कमर तक पानी में खड़े होकर अर्घ्य देने को लेकर कई मान्यताएं हैं। एक मान्यता यहाँ है कि कार्तिक मास के दौरान श्री हरि जल में ही निवास करते हैं और सूर्य ग्रहों के देवता माने गए हैं। इस अनुसार नदी या तालाब में कमर तक पानी में खड़े होकर अर्घ्य देने से भगवान विष्णु और सूर्य देवता की पूजा एक साथ हो जाती है। (Indian Express Photos)
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एक यह भी मान्यता है कि, किसी भी पवित्र नदी में प्रवेश करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में शुभ फल का आगमन होता है। (Indian Express Photos) छठ पूजा में बांस के बने सूप के इस्तेमाल करने की मान्यता है। लेकिन क्या आपको पता है कि सूप का इस्तेमाल क्यों किया जाता है और क्या है इसका महत्व?
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इसके अलावा ये शास्त्रों में बताया गया है कि, छठी माता सूर्य देव की मानस बहन हैं और उनकी पूजा कर से सूर्य भगवान को प्रसन्न किया जाता है। (Indian Express Photos)
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठ पर्व के दौरान सूर्य देव को अर्घ्य देने का महत्व महाभारत काल के समय से जुड़ा हुआ है। दरअसल, सूर्य देव के दिए गए वरदान के चलते माता कुंती के गर्भ से कर्ण का जन्म हुआ था जो सूर्यपुत्र कहलाए। (Indian Express Photos)
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सूर्यदेव के तेज और कृपा के कारण कर्ण महान योद्धा बने। मान्यता है कि छठ पर्व की शुरुआत सबसे पहले कर्ण ने ही सूर्य देवता की पूजा करके की थी। कर्ण हर दिन घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य भगवान की पूजा करते थे और उनके अर्घ्य देते थे। (Photos: Indain Express) छठ महापर्व की शुरुआत 5 नवंबर को नहाय-खाय के साथ हो चुकी है. इस महापर्व को लेकर बाजारों में जबरदस्त उत्साह है. लोग पूजन सामग्री खरीद रहे हैं।
