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क्या है लेटरल एंट्री? कैसे होती है भर्ती और सबसे पहले किसने की थी इसकी शुरुआत? सबकुछ जानें यहां

What is lateral entry and who started it first? लेटरल एंट्री को लेकर इस वक्त पक्ष और विपक्ष के भी घमासान मचा हुआ है। इसकी जड़ें कांग्रेस से जुड़ी हुई हैं। कई बड़े नेताओं की इसके जरिए एंट्री हो चुकी है। आइए जानते हैं क्या है लेटरल एंट्री? कैसे करती है ये काम और सबसे…

By: Vivek Yadav
Updated: August 20, 2024 16:25 IST
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  • lateral entry
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    लेटरल एंट्री को लेकर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने है। दरअसल, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने लेटरल एंट्री के माध्यम से 45 संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों की भर्ती के लिए एक अधिसूचना जारी की। इसी के बाद से इसे लेकर घमासान मच गया। इन वैकेंसी को कॉन्ट्रेक्ट के आधार पर लेटरल एंट्री के जरिए भरा जाना है। इसपर राहुल गांधी से लेकर अखिलेश यादव तक केंद्र सरकार पर निशान साध रहे हैं।  राहुल गांधी का कहना है कि लेटरल एंट्री के जिरए भर्ती कर सरकार एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग का आरक्षण छीनने का काम कर रही है। असल में देखा जाए तो लेटरल एंट्री का नाता सबसे पहले कांग्रेस से ही जुड़ता है। आइए जानते हैं क्या है ये? (PTI)

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    क्या है लेटरल एंट्री?
    सबसे पहले जान लेते हैं कि लेटरल एंट्री क्या है? दरअसल, लेटरल एंट्री के जरिए प्राइवेट क्षेत्र के एक्सपर्ट्स की केंद्र सरकार के मंत्रालयों में सीधी भर्ती की जाती है। इसके जरिए जॉइंट सेक्रेट्री, डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेट्री के पदों पर भर्तियां की जाती हैं। (Indian Express)

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    अनुभव और शैक्षिक योग्यता
    निजी क्षेत्र में काम करने वाले जिन लोगों की भर्ती अफसरशाही में लेटरल एंट्री के जरिए की जाती है उन्हें 15 साल का एक्सपीरियंस होना चाहिए। इसमें शामिल होने के लिए 45 साल उम्र होनी चाहिए साथ ही किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट से ग्रेजुएशन तक की डिग्री होनी अनिवार्य है। (PTI)

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    पीएम मोदी के कार्यकाल में हुआ शुरू
    नौकरशाही में लेटरल एंट्री औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान शुरू किया गया था। जिसमें 2018 में रिक्तियों के पहले सेट की घोषणा की गई थी। इसमें शामिल होने वालों के प्रदर्शन के आधार पर संभावित विस्तार के साथ तीन से पांच साल तक के अनुबंध पर नियुक्त किया जाता है। (PTI)

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    कांग्रेस से जुड़ी हैं लेटरल एंट्री की जड़ें
    लेटरल एंट्री भले ही मोदी सरकार के कार्यकाल में शुरू की गई लेकिन असल में देखा जाए तो इसकी जड़ें कांग्रेस से जुड़ी हुई हैं। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा है कि कांग्रेस का विरोध पाखंड के अलावा कुछ नहीं है क्योंकि लेटरल एंट्री की अवधारणा यूपीए सरकार के समय ही तैयार हुई थी। (Indian Express)

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    2005 में ही कांग्रेस ने की थी सिफारिश
    अश्विन वैष्णव ने बताया कि दूसरा प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) यूपीए सरकार के दौरान साल 2005 में गठित किया गया था जिसके अध्यक्ष वीरप्पा मोइली थे। आयोग ने खास नॉलेज की जरूरत वाले पदों में रिक्तियों को भरने के लिए विशेषज्ञों की भर्ती की सिफारिश की थी। इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि लेटरल एंट्री के जरिए नियुक्तियां 1970 से कांग्रेस सरकारों के दौरान होती रही हैं। (Indian Express)

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    कांग्रेस सरकार में इन लोगों की हुई है लेटरल एंट्री
    भारत पूर्व प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री रहे डॉ मनमोहन सिंह साल 1971 में लेटरल एंट्री के जरिए विदेश व्यापार मंत्रालय में सलाहकार के रूप में सरकार में शामिल हुए थे। 2013 से 2016 तक RBI के गवर्नर रहे रघुराम राजन ने भी लेटरल एंट्री के जरिए मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में काम किया है। (Indian Express)

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    कांग्रेस सरकार में इनकी भी हुई है एंट्री
    कांग्रेस सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार के तौर पर काम करने वाले बिमल जालान भी लेटरल एंट्री के जरिए आए थे। बाद में वो RBI के गवर्नर भी बने। इनके अलावा सैम पित्रौदा, कौशिक बसु, वी कृष्णमूर्ति और अरविंद विरमानी भी लेटरल एंट्री के जरिए सरकार में शामिल हो चुके हैं। (Indian Express)

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    कांग्रेस ने कई लोगों को बिना किसी प्रक्रिया के भर्ती कराई है- अमित मालवीय
    बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने पलटवार करते हुए कहा है कि कांग्रेस सरकार ने ही लेटरल एंट्री की स्वीकृति दी थी। इस पर राहुल गांधी को राजनीति करना शोभा नहीं देता है। उन्होंने कहा कि, राहुल गांधी भूल जाते हैं कि क्या अच्छा क्या बुरा है… उनका काम बस विरोध करना है। अमित मालवीय ने यह भी कहा है कि ‘असली सच्चाई यह है कि पहले कांग्रेस बिना किसी प्रक्रिया के ऐसे लोगों की लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती करती थी।’ (PTI)

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