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अक्सर कहा जाता है कि “हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं।” लेकिन क्या सच में ऐसा है? क्या हमारे धर्मग्रंथों में करोड़ों देवताओं का उल्लेख है? दरअसल, यह एक गलतफहमी है जो एक शब्द के गलत अर्थ निकालने से फैल गई — वह शब्द है “कोटि” (Koti)। (Photo Source: Unsplash)
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संस्कृत में “कोटि” शब्द के दो अर्थ होते हैं — 1. प्रकार (Type), और 2. करोड़ (Crore)। समय के साथ लोगों ने “कोटि” का अर्थ “करोड़” समझ लिया, जबकि प्राचीन ग्रंथों में इसका मतलब “प्रकार” यानी “types” बताया गया है। इसलिए जब ग्रंथों में लिखा गया — “33 कोटि देवी-देवता”, इसका अर्थ था “33 प्रकार के देवी-देवता”, न कि 33 करोड़ देवी-देवता। (Photo Source: Unsplash)
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कौन हैं ये 33 प्रकार के देवता?
इन 33 देवताओं को प्रकृति के रूप में देखा जाता है। वे किसी मूर्ति या संख्या का प्रतीक नहीं, बल्कि जीवन के तत्वों और शक्तियों के प्रतीक हैं। (Photo Source: Unsplash) -
8 वसु (Vasus)
वसु वे देवता हैं जो प्रकृति के आठ मूल तत्वों का प्रतीक हैं — पृथ्वी (Earth), जल (Water), अग्नि (Fire), वायु (Air), आकाश (Ether), चंद्र (Moon), सूर्य (Sun) और तारा (Star)। इन्हें वसु कहा गया क्योंकि ये सभी जीवों के निवास स्थल हैं। हमारी पूरी सृष्टि इन्हीं पर टिकी है। (Photo Source: Pexels) -
12 आदित्य (Adityas)
आदित्य सूर्य की बारह अवस्थाओं को दर्शाते हैं, जो वर्ष के 12 महीनों का प्रतीक हैं। ये ऊर्जा, प्रकाश और जीवन शक्ति के रूप हैं। हमारे शरीर और मन की ऊर्जा इन्हीं आदित्यों से जुड़ी है। (Photo Source: Pexels) -
11 रुद्र (Rudras)
रुद्र, भगवान शिव के 11 रूपों को दर्शाते हैं। ये रूप हैं — महाकाल, तारा, बाला, भुवनेश, षोडशी, श्रीविद्येश, भैरव, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंग, कमल और हनुमान। ये रूप विनाश, परिवर्तन, और पुनर्निर्माण के प्रतीक हैं। (Photo Source: Unsplash) -
2 अश्विनीकुमार (Ashwini Kumars)
ये दोनों देवता स्वर्गीय वैद्य कहलाते हैं। इन्होंने ऋषियों को औषधि और उपचार विज्ञान सिखाया। अर्थात् स्वास्थ्य, चिकित्सा और जीवन रक्षा भी देवत्व का ही रूप है। (Photo Source: Pexels) -
कुल मिलाकर — 8 + 12 + 11 + 2 = 33 प्रकार के देवता
यानि कि हिंदू धर्म में 33 प्रकार की दैवी शक्तियां मानी गई हैं, जो प्रकृति के हर पहलू में विद्यमान हैं। (Photo Source: Pexels) -
तो क्या हिंदू कई देवताओं की पूजा करते हैं?
नहीं — हिंदू धर्म कई देवताओं की उपासना नहीं, बल्कि एक ही सत्य को अनेक रूपों में स्वीकार करता है। हमारे पूर्वजों ने यह समझा था कि ईश्वर केवल मंदिर में नहीं, बल्कि हर जगह है — हर पेड़ में, हर नदी में, हर हवा की लहर में, हर सूर्योदय में। सूरज में तेज है, पानी में जीवन है, अग्नि में शक्ति है, वायु में प्राण है, चंद्रमा में शांति है, यही है असली आध्यात्मिकता। (Photo Source: Pexels) -
असल संदेश क्या है?
इन 33 प्रकार के देवताओं का अर्थ है — हर तत्व, हर ऊर्जा, हर प्राकृतिक शक्ति में ईश्वर का अंश है। यानी ईश्वर हर रूप में, हर दिशा में, हर कण में है। हिंदू धर्म हमें यह नहीं सिखाता कि लाखों देवी-देवताओं की पूजा करो, बल्कि यह सिखाता है कि हर चीज में ईश्वर को देखो। (Photo Source: Pexels)
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