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भारी बारिश के कारण हिमाचल प्रदेश में बाढ़ आ जाने की वजह से कई घर धराशायी हो गए और पुल टूट कर बह गए। मनाली से लेकर मंडी तक ब्यास नदी के उफान से बहुत नुकसान पहुंचा। (PTI Photo)
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मगर कुदरत के इस कहर से ब्यास नदी और सुकेती खड्ड के किनारे स्थित पंचवक्त्र मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। (Source: Ramesh Rao/facebook)
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भगवान शिव की महिमा ऐसी कि सैलाब भी इस शिव धाम का कुछ बिगाड़ नहीं पाया। (ANI Photo)
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9 जुलाई को ये मंदिर जलमग्न हो गया था। मंदिर पूरी तरह से जल सैलाब से घिर गया था। पानी मंदिर के शिखर तक पहुंच चुका था। (Source: @GoHimachal_/twitter)
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लेकिन दो दिन में ही जलस्तर तेजी से नीचे आया और अब मंदिर पूरी तरह पानी से बाहर है। (Source: @GoHimachal_/twitter)
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इस जलप्रलय को देखकर 10 साल पहले केदारनाथ में हुई तबाही का दृश्य आखों के सामने आ गया। (Source: Ramesh Rao/facebook)
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हांलाकि जब बाढ़ का पानी मंदिर से बाहर निकल गया तो अंदर बालू भर गई थी। (Source: Ramesh Rao/facebook)
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इस तस्वीर में मंदिर में भरी रेत में नंदी के सींग साफ नजर आ रहे हैं। (Source: Ramesh Rao/facebook)
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जब मंदिर के अंदर की रेत निकाली गई तो शिवलिंग, नंदी और मंदिर की शिलाएं वैसी की वैसी ही मिलीं। (PTI Photo)
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बता दें, मंडी का यह मंदिर करीब 400 साल से भी ज्यादा पुराना है। जिसका निर्माण राजा सिद्ध सेन ने 1684-1727 के बीच करवाया था। (ANI Photo)
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यह मंदिर केदारनाथ जैसा दिखता है। इस मंदिर में भगवान शिव की पंचमुखी प्रतिमा मौजूद है। (ANI Photo)
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यहां मौजूद शिव जी की मूर्ति के ईशान, अघोरा, वामदेव, तत्पुरुष और रुद्र पांच अलग-अलग रूप हैं। (ANI Photo)
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शिव की इसी प्रतिमा की वजह से इसे पंचवक्त्र मंदिर के नाम से जाना जाता है। (PTI Photo)
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