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Mayawati Vs Naseemuddin Siddiqui: मायावती उत्तर प्रदेश और देश की बड़ी नेता हैं। वह चार बार यूपी की सीएम रह चुकी हैं। बसपा (BSP) सुप्रीमो राज्यसभा और लोकसभा की सदस्य भी रहीं। मायावती जबसे राजनीति में सक्रिय हुई हैं तब से आज तक कई लोग उनके करीबियों में शुमार हुए। इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जो अब बीएसपी चीफ के साथ नहीं हैं। ऐसा ही एक नाम है नसीमुद्दीन सिद्दीकी का। नसीमुद्दीन कभी मायावती के दाहिने हाथ हुआ करते थे, लेकिन अब कांग्रेस (Congress) का पंजा ‘थाम’ चुके हैं:
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नसीमुद्दीन सिद्दीकी बुंदेलखंड के बांदा जिले में जन्मे। उनके परिवार में कभी कोई राजनीति में नहीं रहा था। इनके बड़े भाई जमीरउद्दीन सिद्दीकी बसपा संस्थापक काशीराम के बहुत करीबी थे। उन्होंने ही 1991 में नसीमुद्दीन को बसपा टिकट दिलवाया।
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नसीमुद्दीन चुनाव जीते और बांदा और बसपा के पहले मुस्लिम विधायक बनें। धीरे-धीरे वे मायावती के बेहद खास हो गए। मायावती का करीबी होने के कारण लोग उन्हें मिनी मुख्यमंत्री कहा करते थे।
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जब मायावती 1995 में पहली बार सीएम बनीं, तब नसीमुद्दीन को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। इसके बाद 21 मार्च 1997 से 21 सितंबर 1997 तक मायावती की शॉर्ट टर्म गवर्नमेंट में भी वे मंत्री बने।
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3 मई 2002 से 29 अगस्त 2003 तक एक साल के लिए वे यूपी कैबिनेट का भी हिस्सा रहे। इसके बाद 13 मई 2007 से 7 मार्च 2012 तक मायावती की फुल टाइम गवर्नमेंट में भी मंत्री रहे।
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राजनीति में आने से पहले नसीमुद्दीन का खेलों की तरफ काफी झुकाव था। वे वॉलीबॉल के नेशनल लेवल के प्लेयर रह चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने रेलवे के एक कॉन्ट्रैक्टर के रूप में भी काम किया।
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नसीमुद्दीन के मुताबिक वह बसपा सुप्रीमो मायावती के लिए इतने समर्पित थे कि अपनी बेटी के अंतिम संस्कार तक में नहीं गए थे।
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2017 में मायावती ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी को पार्टी से बाहर कर दिया था।
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अब कांग्रेस पार्टी में शामिल हो चुके हैं नसीमुद्दीन।
