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महामना एक्सप्रेस ट्रेन शुरू हो चुकी है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें वर्ल्ड क्लास लेवल के कोच लगे हुए हैं। ट्रेन 25 जनवरी से आम मुसाफिरों के लिए शुरू हो गई है। पीएम नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी को वाराणसी से महामना एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। जानें इस ट्रेन से जुड़ी हर अहम जानकारी
महामना एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 22418/22417) हफ्ते में तीन दिन वाराणसी से दिल्ली के बीच चलेगी। ट्रेन के फर्स्ट एसी का किराया 3070 रुपए, सेकंड एसी का किराया 1815 रुपए और स्लिपर क्लास का किराया 480 रुपए है। नियमित तौर पर यह ट्रेन दिल्ली से 25 जनवरी जबकि वाराणसी से 26 जनवरी से शुरू हो गई। वाराणसी से दिल्ली तक की दूरी 14 घंटे में पूरी होगी। -
यह ट्रेन नई दिल्ली से सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को शाम छह बजकर 35 मिनट पर चलेगी। अगले दिन सुबह आठ बजकर 25 मिनट पर वाराणसी पहुंचेगी।
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22417 नंबर की ट्रेन वाराणसी से मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को शाम छह बजकर 35 मिनट पर चलेगी। अगले दिन सुबह आठ बजकर 25 मिनट पर दिल्ली पहुंचेगी।
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ट्रेन का स्टॉप गाजियाबाद, मुरादाबाद, बरेली, लखनऊ, सुल्तानपुर और जौनपुर सिटी होगा।
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ट्रेन में एक फर्स्ट एसी, एक एसी टू टियर, नौ स्लीपर क्लास, चार जनरल क्लास और दो सेकंड क्लास कम लगेज वैन कोच होंगे। ट्रेन में पैंट्री कार भी होगा।
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ऊपर के बर्थ पर चढ़ने के लिए स्लीपर क्लास में भी बेहतर डिजाइन की सीढि़यां होंगी।
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टॉयलेट्स को बेहतर बनाया गया है। मसलन- बड़े शीशे, प्लेटफॉर्म वॉशबेसिन, बेहतर पानी के टैप, बदबू को कंट्रोल करने का सिस्टम, एक्जॉस्ट फैन, एलईडी लाइट और डस्टबिन लगाए गए हैं।
कोच के निर्माण में सेफ्टी का विशेष ध्यान रखा गया है। बेहतर अग्निरोधक मटीरियल का इस्तेमाल किया गया है। -
सभी श्रेणी के कोच अन्य ट्रेन के मुकाबले दिखने और डिजाइन, दोनों में बेहतर होंगे।
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ट्रेन की बोगियों को पैसेंजर एड्रेस सिस्टम और जीपीएस इन्फॉर्मेशन सिस्टम से लैस किया गया है।
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इलेक्ट्रिकल सिस्टम और फायर सेफ्टी को लेकर कई बदलाव किए गए हैं। बिजली की न्यूनतम खपत और बेहतर रोशनी के लिए एलईडी लाइटिंग की व्यवस्था की गई है।
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कोच देखने में अच्छे लगें, इसे लेकर इंजीनियर्स की ओर से काफी मेहनत की गई है।
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स्लीपर क्लास तक के टॉयलेट और वॉश बेसिन को बेहतर बनाने की कोशिश की गई है।
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स्लीपर क्लास के कोचों को पहले के मुकाबले ज्यादा आरामदायक और स्पेशियस बनाया गया है।
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न केवल इंटीरियर्स बल्कि सेफ्टी पर भी जोर दिया गया है। कोच के निर्माण में बेहतर अग्निरोधक मटीरियल का इस्तेमाल किया गया है।
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ट्रेन में बस एक कमी यही है कि थर्ड एसी का कोच नहीं लगाया गया है। इसके अलावा, फर्स्ट एसी और सेकंड एसी के कोचों की संख्या सिर्फ एक एक होना भी यात्रियों को खल सकता है।