प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद के बीच सोमवार को नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में हुई उच्चस्तरीय वार्ता के दौरान राफेल डील पर दस्तखत हो गए। इसके तहत भारत को फ्रांस से 60,000 करोड़ रुपए में 36 राफेल फाइटल प्लेन मिलेंगे। हालांकि, अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि फ्रांस कब तक भारत को राफेल सौंप देगा। भारत और फ्रांस के बीच हुई इस डील पर हमारे देश के रक्षा विशेषज्ञों के साथ चीन और पाकिस्तान भी पैनी नजरें बनाए हुए हैं। चीन का सरकारी अखबार तो राफेल डील पर चिंता भी जता चुका है। आगे पढ़ें, राफेल की रफ्तार मौजूदा श्रेणी के फाइटर प्लेन में राफेल का जवाब न तो चीन के पास है और न ही पाकिस्तान के। ऐसे में मोदी और ओलांद के बीच हुई इस डील ने चीन-पाकिस्तान की नीदें उड़ा दी हैं। वैसे उनकी चिंता नाजायज भी नहीं है। दरअसल, राफेल हर लिहाज से बेहद ताकतवर है। यह 2130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है। इस हिसाब से देखें तो राफेल इस्लामाबाद और बीजिंग में बमबारी कर चार घंटे के भीतर नई दिल्ली वापस आ सकता है। आपको बता दें कि इस्लामाबाद की नई दिल्ली से दूरी करीब 691 किलोमीटर है, जबकि बीजिंग की दूरी 3230.92 किमी है। राफेल इस्लामाबाद जाकर 40 मिनट में लौट सकता है, जबकि बीजिंग की दूरी तय करने में उसे सिर्फ तीन घंटे लगेंगे। -
राफेल लड़ाकू विमान हवा से हवा के साथ ही हवा से जमीन पर हमले करने में भी सक्षम है। राफेल फाइटर प्लेन परमाणु हमले करने की क्षमता भी रखता है। बेहद कम ऊंचाई पर उड़ान के साथ हवा से हवा में मिसाइल भी दाग सकता है।
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विमान में ऑक्सीजन जनरेशन सिस्टम, लिक्विड ऑक्सीजन भरने की जरूरत नहीं है। राफेल इलेक्ट्रानिक स्कैनिंग रडार से थ्रीडी मैपिंग कर रियल टाइम में खोज लेता है पोजीशन।
नजदीकी मुकाबले के दौरान यह एक साथ कई टारगेट पर रख सकता है नजर। हर मौसम में लंबी दूरी के खतरे को भी समय रहते भांप सकता है। -
भारत विश्व के कुछ चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास इस तरह की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है।
