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शिव तांडव स्तोत्र की रचना रावण ने की थी इसलिए इसे रावण तांडव स्तोत्र भी कहा जाता है। इस स्तोत्र से रावण ने 17 श्लोंको से भगवान शिव की स्तुति गाई है। (Photo: Indian Express)
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शिव जी के भक्त न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि शिव तांडव स्तोत्र चारों वेदों में से किस वेद में लिखा गया है। (Photo: Pexels)
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आगे बढ़ने से पहले इसकी कहानी जान लेते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एक बार अहंकारवश रावण ने कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास किया तो भगवान शिव ने अपने अंगूठे से पर्वत को दबाकर स्थिर कर दिया। (Photo: Indian Express)
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इसके बाद रावण का हाथ पर्वत के नीचे दब गया। तब पीड़ा में रावन ने भगवान शिव की स्तुति की। रावण द्वारा यह स्तुति शिव तांडव स्तोत्र के नाम से जाना गया। (Photo: Indian Express) कर्ण के धनुष का क्या था नाम? उठाते ही चारों ओर बन जाता था अभेद घेरा
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिव तांडव स्तोत्र का पाठ अन्य किसी पाठ की तुलना में भगवान शिव को अधिक प्रिय है। इस स्तोत्र को बेहद ही चमत्कारिक माना जाता है। (Photo: Indian Express)
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शिव तांडव स्तोत्र को सामवेद से लिया गया है। इसके साथ ही इसका जिक्र रामायण में भी मिलता है। (Photo: Pexels)
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिव तांडव स्तोत्र का नियमित पाठ करने से धन-संपत्ति में कभी हानि नहीं होती है। (Photo: Pexels)
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इसके साथ ही ये भी मान्यता है कि शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से कमाना पूर्ण होती है और शनि दोष के कुप्रभावों से भी छुटकारा मिलता है। (photo:Pexels) रोज करते होंगे गायत्री मंत्र का जाप, पता है किस वेद में लिखा है?
