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अनुरा दिसानायके श्रीलंका के नए राष्ट्रपति चुने गए हैं। 55 वर्षीय वामपंथी नेता नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) अलायंस के प्रमुख हैं। उनकी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) पिछले 500 सालों से भी ज्यादा समय से श्रीलंका की राजनीति में सक्रिय है। श्रीलंका की राजनीति में बदलाव होते ही भारत की भी टेंशन बढ़ गई है और सबसे अधिक खतरा गौतम अडानी को है। आइए जानते हैं कैसे: (Photo: Anura Kumara Dissanayake/FB)
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भारत विरोधी बयान
अनुरा दिसानायके कई बार भारत का विरोध कर चुके हैं। उनका झुकाव चीन की ओर अधिक रहता है। (Photo: Anura Kumara Dissanayake/FB) -
1- साल 1987 की बात है जब भारत-श्रीलंका समझौते के तहत भारतीय शांति सेना वहां गई थी ताकि तमिल विद्रोहियों और श्रीलंकाई सेना के बीच चल रही लड़ाई को रोका जा सके। इस पर अनुरा दिसानायके की पार्टी जेवीपी ने इसे देश में बाहरी हस्तक्षेप मानते हुए कड़ा विरोध किया था। उन्होंने भारतीय सेना को आक्रमणकारी भी कहा था। इसके साथ ही आगे चलकर इस पार्टी ने भारत पर तमिल बागियों के समर्थन का भी आरोप लगाया था। (Photo: Anura Kumara Dissanayake/FB)
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2– हाल ही में श्रीलंका में अडानी ग्रुप के 484 मेगावाट वाले 44 करोड़ के समझौते को भी अनुरा दिसानायके ने रद्द करने की बात कही थी। अगर नए श्रीलंकाई राष्ट्रपति ऐसा करता हैं तो गौतम अडानी को भारी नुकसान हो सकता है। (Photo: Anura Kumara Dissanayake/FB)
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3- अनुरा दिसानायके ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि अगर वो राष्ट्रपति बनते हैं तो वो भारत के कई प्रोजेक्ट को रद्द कर देंगे। ऐसे में श्रीलंका के नए राष्ट्रपति भारत के लिए टेंशन पैदा कर सकते हैं। (Photo: Anura Kumara Dissanayake/FB)
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खुश हुआ चीन
अनुरा दिसानायके को चीन का समर्थक माना जाता है। उनके राष्ट्रपति बनते ही चीन काफी खुश है। यहां तक की चीन की सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने दिसानायके की जमकर तारीफ की है। इसके साथ ही ये भी कहा है कि ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ में तेजी आएगी। ग्लोबल टाइम्स ने चीनी विशेषज्ञों के हवाले से कहा है कि वामपंथी नेता अनुरा दिसानायके की जीत से चीन और श्रीलंका के बीच संबंधों को और बढ़ावा मिलने की संभावना है। (Photo: Anura Kumara Dissanayake/FB) -
चीन के कर्ज जाल में फिर फस रहा है श्रीलंका
चीन पर लगातार आरोप लगते रहे हैं कि शी जिनपिंग अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के जरिए विकासशील देशों में भारी निवेश कर उन्हें अपनी कर्ज जाल में फंसा लेते हैं। BRI का मार श्रीलंका भी झेल चुका है। इसके साथ ही पाकिस्तान, जिबुती, लाओस, जाम्बिया और किर्गिस्तान भी अछूते नहीं है। (Photo: Anura Kumara Dissanayake/FB) -
अगर इस बार चीन की श्रीलंका में खुले तौर पर एंट्री होती है तो वो एक बार फिर से चीन के कर्ज जाल में फंस जाएगा और अगर ऐसा हुआ तो श्रीलंका का हाल साल 2022 से भी बुरा होगा। वैसे भी श्रीलंका अब भी चीन के भारी कर्ज में डूबा हुआ है। (Photo: Anura Kumara Dissanayake/FB)
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भारत हमेशा रहा साथ
साल 2022 में श्रीलंका की आर्थिक व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई थी। हालात इतने बुरे हो गए थे कि आजादी के बाद एक बार फिर श्रीलंका गृह युद्ध के मुहाने पर खड़ा हो गया था। श्रीलंका में आई आर्थिक तबाही के सबसे बड़े कारणों में से एक चीन था जिसने अपने कर्ज जाल में उसे ऐसा फंसाया कि ये देश पूरी तरह बरबाद हो गया था। ऐसे हालात में सबसे पहले चीन ने ही श्रीलंका से अपने हाथ पीछे खींच लिया था। जबकि, भारत ने काफी मदद की थी। आर्थिक मदद के साथ ही मेडिकल, तेल, खाने के सामान के साथ ही कई तरीके से मदद पहुंचाया था। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके के कदम किस ओर बढ़ते हैं। क्या वो भारत के लिए टेंशन बनेंगे या फिर एक अच्छे पड़ोसी बनकर उभरेंगे। (Photo: Anura Kumara Dissanayake/FB)