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हिमाचल प्रदेश में मॉनसून की बारिश ने कहर ढाया है। प्रदेश में बुधवार को बादल फटने से भारी तबाली मची है। इस जलप्रलय में अब तक पांच लोगों की मौत होने की जानकारी मिली है, जिनके शव बरामद कर लिए गए हैं, जबिक 48 लोग अभी भी लागपता हैं।
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31 जुलाई की रात को कुल्लू, मंडी और शिमला जिलों में बादल फटने की घटनाएं सामने आईं। कुल्लू जिले के निरमंड, सैंज और मलाणा इलाकों में, मंडी के पधर और शिमला जिले के रामपुर में बादल फटने के बाद अचानक आई बाढ़ में लोग लापता हो गए।
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भारी बारिश और लैंडस्लाइड के कारण कई इलाके जलमग्न हो गए हैं। इसी बीच 3.3 तीव्रता के भूकंप के झटकों ने भी स्थिति को और ज्यादा बिगाड़ दिया है। कई सड़कें और पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिससे राहत और बचाव कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही है।
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पुलिस और प्रशासन की टीमें क्षेत्र में शवों की तलाश में जुटी हुई हैं। मनाली में ब्यास नदी ने फिर अपना रास्ता बदला है और हाईवे पर आ गई है और यहां पर आलू ग्राउंड में पानी भर गया है। बाढ की वजह से नेशनल हाइवईवे समेत 5 सड़कें तबाह हो गई है।
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बादल फटने से 47 घर, 10 दुकानें, 17 पुल, तीन स्कूल, एक डिस्पेंसरी, बस अड्डा, 30 वाहन, दो बिजली प्रोजेक्ट और एक बांध बह गया। वहीं, लैंडस्लाइड के कारण मनाली-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गया है।
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जगह-जगह लैंडस्लाइड के चलते इस हाईवे को बंद कर दिया गया है। बता दें, यह हाईवे पिछले साल 15 जून को जनता के लिए खुला था। इस हाईवे के बनने से चंडीगढ़ और मनाली के बीच की यात्रा का समय छह घंटे कम हो गया था।
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सबसे ज्यादा नुकसान शिमला जिले के रामपुर उपमंडल के समज इलाके में हुआ, जहां बुधवार रात श्रीखंड महादेव के पास बादल फटने से सरपारा, गानवी और कुर्बन नालों में अचानक बाढ़ आ गई।
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NDRF, भारतीय सेना, CISF, ITBP, SDRF और अन्य स्वयंसेवक लगातार बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। वे लापता लोगों को खोजने और प्रभावित इलाकों में राहत कार्य करने में लगे हुए हैं। (PTI Photos)
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