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भारतीय सेना केवल अपनी शक्ति और साहस के लिए ही नहीं, बल्कि अपने अनुशासन, मर्यादा और परंपराओं के लिए भी जानी जाती है। हर जवान जब वर्दी पहनता है, तो वह केवल एक व्यक्ति नहीं रह जाता, बल्कि पूरे भारतीय सैन्य बल की गरिमा और जिम्मेदारी का प्रतीक बन जाता है। यही कारण है कि वर्दी में रहते हुए फौजी कई नियमों का पालन करते हैं — जिनमें से एक है वर्दी में ताली न बजाना। (Photo Source: Pexels)
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वर्दी में ताली न बजाने की परंपरा
भारतीय सेना के जवान अगर किसी कार्यक्रम या सभा में वर्दी में मौजूद हों, तो वे ताली नहीं बजाते। यह कोई लिखित नियम नहीं है, लेकिन इसे परंपरा और अनुशासन का हिस्सा माना जाता है। यह नियम सालों से मौखिक रूप से पालन में है और सेना की आचार-संहिता में गहराई से जुड़ा हुआ है। (Photo Source: Unsplash) -
2015 में सेना प्रमुख ने दिया था निर्देश
साल 2015 में तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने एक आधिकारिक कार्यक्रम के दौरान सैनिकों को निर्देश दिया था कि वे वर्दी में ताली न बजाएं। उन्होंने कहा था, “मेरा संबोधन खत्म होने के बाद कृपया ताली न बजाएं। अब से हम वर्दी में ताली न बजाने की मर्यादा बनाए रखेंगे।” (Photo Source: Dalbir Singh Suhag/Facebook) -
यह निर्देश तब आया जब उनके संबोधन के बाद जवानों ने ताली बजाई थी। बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्दी में ताली बजाना सेना की गरिमा के अनुरूप नहीं है। (Photo Source: Pexels)
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वर्दी सिर्फ कपड़ा नहीं, जिम्मेदारी का प्रतीक
सेना की वर्दी केवल एक यूनिफॉर्म नहीं, बल्कि देश सेवा की शपथ और जिम्मेदारी का प्रतीक है। वर्दी पहनने के बाद एक सैनिक का हर कदम व्यक्तिगत नहीं, बल्कि संस्थागत माना जाता है। इसलिए किसी भी सार्वजनिक आयोजन में ताली बजाना या नारे लगाना सेना की गरिमा के विरुद्ध समझा जाता है। (Photo Source: Pexels) -
मिलिट्री एटीकेट और अनुशासन का हिस्सा
सैनिकों का आचरण — चाहे वह बातचीत हो, प्रतिक्रिया हो या सार्वजनिक उपस्थिति — सब कुछ मिलिट्री एटीकेट (Military Etiquette) का हिस्सा होता है। (Photo Source: Pexels) -
ताली बजाना एक भावनात्मक प्रतिक्रिया है, जो किसी वक्ता या विचार के प्रति समर्थन का संकेत देती है। लेकिन सेना को हमेशा गैर-राजनीतिक (Non-political) रहना होता है। इसीलिए सैनिकों का किसी भी वक्ता के प्रति सार्वजनिक प्रतिक्रिया देना उचित नहीं माना जाता। (Photo Source: Pexels)
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सेना का गैर-राजनीतिक रुख
अगर वर्दी में ताली बजाने की अनुमति दी जाए, तो यह किसी राजनीतिक या व्यक्तिगत विचार के समर्थन के रूप में लिया जा सकता है। यह सेना के गैर-राजनीतिक और निष्पक्ष रुख को प्रभावित कर सकता है, जो लोकतंत्र और जनता के विश्वास के लिए अत्यंत आवश्यक है। (Photo Source: Indian Armed Forces/Facebook) -
अनुशासन और मर्यादा का प्रतीक
वर्दी में ताली न बजाना कोई सख्त आदेश नहीं है और न ही ताली बजाने पर कोई लिखित दंडनीय प्रावधान है, बल्कि यह सेना के अनुशासन और मर्यादा का प्रतीक है। यह उस गरिमा का सम्मान है जो हर फौजी अपने साथ लेकर चलता है — चाहे वह युद्धभूमि में हो या किसी सार्वजनिक मंच पर। (Photo Source: Indian Armed Forces/Facebook)
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