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भारत की UPSC की तरह चीन में कौन सी परीक्षा होती है? जानिए क्या है नाम

China Civil Service Exam:

By: Archana Keshri
Updated: February 23, 2025 18:21 IST
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    भारत में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से IAS, IPS, IFS और अन्य उच्च प्रशासनिक अधिकारियों की भर्ती करता है। (Photo Source: UPSC)

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    इसी तरह, चीन में भी एक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा होती है, जिसे इम्पीरियल एग्जाम (Imperial Examination) कहा जाता है। यह परीक्षा चीन के इतिहास में बेहद महत्वपूर्ण रही है और इसे दुनिया की पहली संगठित प्रशासनिक परीक्षा माना जाता है। (Photo Source: Pexels)

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    चीन में सिविल सेवा परीक्षा की परंपरा
    चीन में सिविल सेवकों की भर्ती की प्रणाली बहुत पुरानी है। इतिहासकारों के अनुसार, इम्पीरियल एग्जाम की शुरुआत सुई साम्राज्य (Sui Dynasty) के दौरान 605 ईस्वी में हुई थी। इस परीक्षा के जरिए योग्य और शिक्षित लोगों को सरकारी प्रशासन में उच्च पदों पर नियुक्त किया जाता था। (Photo Source: Pexels)

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    हालांकि, इस परीक्षा प्रणाली को वास्तविक रूप में तांग वंश (Tang Dynasty) ने अपनाया और आगे बढ़ाया। इसके बाद सॉन्ग, मिंग और किंग राजवंशों ने भी इस प्रणाली को जारी रखा। (Photo Source: Pexels)

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    इम्पीरियल परीक्षा का प्रारूप और कठिनाई
    इम्पीरियल एग्जाम को दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता था। इसे तीन स्तरों में विभाजित किया गया था: 1. प्रारंभिक परीक्षा, 2. प्रांतीय परीक्षा और 3. प्रांतीय परीक्षा। (Photo Source: Pexels)

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    प्रारंभिक परीक्षा (County Level Exam) – इसमें सफल होने पर उम्मीदवारों को सरकारी नौकरशाही में निचले स्तर की नौकरियां मिलती थीं। (Photo Source: Pexels)

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    प्रांतीय परीक्षा (Provincial Level Exam) – इसमें सफल होने वाले लोग उच्च पदों के लिए योग्य माने जाते थे। (Photo Source: Pexels)

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    राष्ट्रीय परीक्षा (Palace Exam) – यह सबसे कठिन परीक्षा होती थी, जिसे सम्राट (Emperor) स्वयं आयोजित करता था। इसमें सफल उम्मीदवारों को देश के सर्वोच्च प्रशासनिक पदों पर नियुक्त किया जाता था। (Photo Source: Pexels)

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    इस परीक्षा में मुख्य रूप से कन्फ्यूशियस दर्शन (Confucianism), साहित्य, कानून, प्रशासन और लेखन कौशल से जुड़े प्रश्न पूछे जाते थे। यह परीक्षा कई दिनों तक चलती थी और इसमें बैठने वाले उम्मीदवारों को अकेले कमरे में परीक्षा देनी होती थी। (Photo Source: Pexels)

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    इम्पीरियल परीक्षा का प्रभाव
    यह परीक्षा चीन की शासन प्रणाली को मजबूत करने का एक प्रमुख साधन बनी। इसने योग्यता आधारित चयन प्रणाली को बढ़ावा दिया और जन्म आधारित पदवी प्रणाली (वंशानुगत प्रशासन) को कमजोर किया। यह प्रणाली कई सदियों तक चीन की प्रशासनिक रीढ़ बनी रही और 1905 में किंग वंश (Qing Dynasty) द्वारा इसे समाप्त कर दिया गया। (Photo Source: Pexels)

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    आधुनिक चीन में सिविल सेवा परीक्षा
    आज चीन में राष्ट्रीय सिविल सेवा परीक्षा (National Civil Service Exam – NCSE) का आयोजन किया जाता है, जो भारत की UPSC परीक्षा के समान है। इसे चीनी भाषा में गोंगवू युआन काओशी कहा जाता है। (Photo Source: Pexels)

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    इस परीक्षा में लिखित परीक्षा और साक्षात्कार (Interview) के आधार पर सरकारी प्रशासनिक पदों पर नियुक्तियां की जाती हैं। यह परीक्षा भी काफी कठिन मानी जाती है और हर साल लाखों उम्मीदवार इसमें भाग लेते हैं। (Photo Source: Pexels)
    (यह भी पढ़ें: ‘बेंगलुरु’ नाम कैसे पड़ा? जानिए इस शहर के नाम की दिलचस्प कहानी)

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