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भारत में दुर्गा पूजा का त्योहार बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। ये त्योहार पूरे देश में बड़े ही उत्सव और उल्लास से मनाया जाता है लेकिन पश्चिम बंगाल में इसके उत्सव की धूम अलग होती है। बंगालियों के लिए दुर्गा पूजा सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। लेकिन क्या आपको पता है कि किस चीज के बिना दुर्गा पूजा अधूरी रह जाती है। आइए जानते हैं: (Photo: Indian Express)
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इसके बिना दुर्गा पूजा अधूरी
पश्चिम बंगाल में नवरात्रि के दिनों में हर गली में मां दुर्गा के पंडाल देखने को मिल जाएंगे। दरअसल, धुनुची नृत्य के बिना दुर्गा पूजा अधूरी मानी जाती है। आइए जानते हैं क्यों ये इतना खास है और इससे जुड़ी मान्यताएं? (Photo: Indian Express) -
महत्व
धुनुची नृत्य का खास महत्व महानवमी पर होता है लेकिन इसकी शुरूआत सप्तमी से ही हो जाती है। इस नृत्य में नर्तक धुनुची को अपने सिर पर संतुलित करते हुए अलग-अलग मुद्राओं में नृत्य करते हैं। इसमें धुनुची को लोग हाथ में पकड़कर नृत्य करते हैं लेकिन कुछ लोग मुंह से भी धुनुची को पकड़कर डांस करते हैं। (Photo: Indian Express) -
क्यों किया जाता है धुनुची नृत्य
मान्यताओं के अनुसार धुनुची नृत्य का संबंध शक्ति से है। पुराणों के अनुसार महिषासुर काफी बलशाली था। उसे न तो कोई नर मार सकता था और न ही देवता मार सकते थे। ऐसे में भवानी ने उसका वध किया था। (Photo: Indian Express) -
इसलिए मां दुर्गा ने किया था ये नृत्य
महिषासुर के वध से पहले देवी दुर्गा ने अपनी शक्तियों और ऊर्जा को बढ़ाने के लिए धुनुची नृत्य किया था। तभी से इसकी शुरुआत हुई। (Photo: Indian Express) -
ये भी मान्यता
इसके अलावा एक ये भी मान्यता है कि धुनुची में जो धूप और चावल चढ़ाई जाती है उससे देवी दुर्गा को प्रसन्न किया जाता है। (Photo: Indian Express) -
धुनुची में क्या-क्या होता है?
वहीं, धुनुची मिट्टी का बना होता है। धुनुची में सूखे नारियल की जाट, जलता कोयला, कपूर और सभी हवन की सामग्रियों को रखकर जलाया जाता है। (Photo: Indian Express)
